TIO, नई दिल्ली।

आम चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के बाद भाजपा की संघ और सहयोगियों के साथ बरती गई संवादहीनता ने नतीजे में बड़ा अंतर पैदा किया। संवाद के अभाव में संघ के कार्यकर्ता पहले की तरह मैदान में नहीं उतरे, तो पार्टी ने अपने सहयोगियों की जमीनी स्तर पर विपक्ष की ओर से आरक्षण-संविधान खत्म करने की बनाई जा रही अवधारणा के मजबूत होने की सूचना पर विश्वास नहीं किया।

चुनाव प्रक्रिया के दौरान पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की भाजपा के खुद सक्षम होने के बयान से भी संघ के कार्यकतार्ओं में गलत संदेश गया। संघ सूत्रों के मुताबिक, बीते दो चुनाव की तरह इस बार चुनाव के पूर्व भाजपा ने समन्वय पर ध्यान नहीं दिया। चुनाव से पहले रणनीति सहित दूसरे मुद्दों पर बातचीत नहीं हुई। मत प्रतिशत में गिरावट और कार्यकर्ताओं की उदासीनता की रिपोर्ट आने पर भाजपा के एक शीर्ष नेता ने दूसरे चरण के बाद संघ के वरिष्ठ नेता कृष्ण गोपाल से संपर्क साधा। तब संघ की ओर से निर्देश जारी हुए। हालांकि, इसी बीच पांचवें चरण के बाद जब पार्टी अध्यक्ष ने एक साक्षात्कार में भाजपा के अपने दम पर सक्षम होने की बात कही तो इसका बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

कार्यशैली को लेकर थी नाराजगी
संघ सूत्र ने माना कि टिकट वितरण में खामियों और कार्यकतार्ओं की नाराजगी जैसी अनेक सूचनाएं उसके पास थीं। चूंकि समन्वय और संवाद नहीं था, इसलिए इसे दूर नहीं किया जा सका। संघ सूत्रों ने यह भी माना कि मतदाताओं और कार्यकतार्ओं में सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि सांसदों, उम्मीदवारों, स्थानीय पदाधिकारियों की कार्यशैली को लेकर गहरी नाराजगी थी।

न संयुक्त बैठक, न साथ प्रचार
चुनावी रणनीति तय करने के मामले में भाजपा ने इस बार सहयोगियों से भी दूरी बना ली। चुनाव पूर्व न तो सहयोगियों के साथ संयुक्त बैठक हुई और न ही संयुक्त प्रचार की कोई रूपरेखा ही तैयार हुई। बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र में सहयोगी दलों के नेता दूसरी सीटों पर प्रचार की योजना का इंतजार करते रहे। सहयोगी दलों के कई नेताओं को तो पांचवें चरण के बाद प्रचार के लिए पूछा गया।

सलाह-सूचना की अनदेखी
आम चुनाव में विपक्ष की आरक्षण-संविधान खत्म होने की धारणा का व्यापक असर दिखा। उत्तर प्रदेश के भाजपा के सहयोगी दल के नेता ने बताया कि कई बार सूचना दी गई कि विपक्ष की इस मुहिम का ओबीसी, एससी, एसटी में मजबूत असर पड़ रहा है, लेकिन इस सूचना की लगातार अनदेखी की गई। भाजपा के नेता बता रहे थे कि उसने आरक्षण बनाम मुस्लिम कोटा को मुद्दा बना कर विपक्ष की इस मुहिम को धराशायी कर दिया है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER