राघवेंद्र सिंह
रामनवमी पर खरगोन में दंगे के दौरान पुलिस अधीक्षक पर गोली चलाई गई थी अभी इस घटना की स्याही सूखी भी नहीं थी कि शनिवार की रात गुना के जंगलों में शिकारियों के गिरोह ने उप निरीक्षक समेत तीन पुलिस जवानों की गोली मारकर हत्या कर दी। यह बेहद खतरनाक खबर है। पुलिस की असफलता पर चिंता आप की जगह लेकिन यह पुलिस की हैसियत को खत्म करने वाली खबरें है पुलिस का रसूख और अपराधियों में उसका डर खत्म होगा तो मंत्री न संतरी, आम न खास, कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा। मध्यप्रदेश में जो कुछ घटित हो रहा है उसे देख कोई भी चैन से नही सो पाएगा। अगर वह हालात से बाख़बर होने के बजाए बेखबर हो तो वैसा ही होगा जैसे सांप को डंसता हुआ देख उसे मारने के बजाए आंखें बंद कर लें और समझ जाएं कि सब ठीक है।
अच्छा यह है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान बाख़बर हैं। उन्होंने फिर रविवार 14 मई की सुबह अधिकारियों से कहा- गुना में सब इंस्पेक्टर समेत तीन पुलिस जवानों की हत्या की घटना से मैं बहुत बेचैन हूं। सीएम हाउस में अफसरों से चेतावनी के अंदाज़ कहा जिसमें दम हो, वो फील्ड में रहे। मैं डीजीपी को भी यही कह रहा हूं कि एक बार देख लें, चर्चा कर लें। फील्ड में जो करके दिखा सके, वैसे अफसर चाहिए मुझे…।
इस पूरे मामले में चिंता की बात यह है कि फील्ड में तैनात अफसरों की रगों में खून के बजाए पानी बहता हुआ लगता है। गुंडा माफियाओं पर कोई खास एक्शन ही नही। खरगोन में दंगा हुआ पथराव,आगजनी के साथ एसपी पर भी गोली चली लेकिन पुलिस ठंडी पड़ी रही कोई कठोर कार्रवाई नही। ऐसा कुछ नही किया जो पूरे प्रदेश में मिसाल बन सके। नतीजा यह कि गुना हादसा हो गया। पुलिस वाले ही गोली से उड़ा दिए गए। पुलिस की यह गत है तो आम जनता की कितनी दुर्गति हो रही है इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है।वर्दी की इज्जत दो कौड़ी की हो गई है। कठोरता के नाम पर पुलिस आम और गरीब को टारगेट करेगी। टारगेट पूरा करने के लिए मरगिल्ला दुपहिया चालक चालान हेलमेट चेकिंग मुहिम का शिकार होने लगेगा।
पुलिस की इज्जत बहाली के लिए गृहमंत्री से लेकर डीजीपी, एसपी और सिपाही सभी मे संगठित क्राइम के खिलाफ सख्त तेवर की दरकार है। रेत- शराब और ड्रग माफियाओं से लेकर जुआ सट्टा खिलाने वालों पर बिना अपना – पराया देखे कठोर कार्रवाई की जरूरत है। थानों से लेकर भ्रष्ट कलेक्टर-एसपी को त्वरित गति से बदलने की जरूरत है।अब बातों का वक्त निकल चुका है। गुंडे बदमाश और बेईमान नेता व अफसर सरकार की तरफ से एक्शन का इंतजार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री की चेतावनी और निर्देश के बाद सिवाए कार्रवाई के कुछ नही बचता। फिर भी हफ्ता, महीना और सालाना, नजराना, जबराना और हकराना देने वाले ढीठ किसिम के अधिकारीगण एक्शन लेने के लिए आखिर और किसके आदेश की प्रतीक्षा कर रहे हैं। भला बताइए सीएम के खुले निर्देशों के बात क्या शेष रह जाता है…?
भोपाल में बांग्लादेशी आतंकियों का ग्रुप स्लीपर सेल बना रहा है प्रदेश की पुलिस में थाने से लेकर सिटी सीआईडी, क्राइम ब्रांच, पीएचक्यू सीआईडी किसी को पता ही नहीं है। सब भले ही न हो लेकिन ज्यादातर वसूली में लगे हैं..? राजस्थान में सक्रिय आतंकी संगठन सूफा रतलाम में अपनी तार बिछा रहे हैं पुलिस बेख़बर है। इसलिए भी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनआईए का आफिस भोपाल में खोला है ।
मध्य प्रदेश के एक युवा आईपीएस ऑफिसर ने कुछ महीने पहले चर्चा में पीड़ा व्यक्त करते हए कहा था राज्य में मैदानी पुलिस अफसरों और पुलिस चौकी तक के सिपाहियों की रेत से लेकर शराब माफिया और जुआ – सट्टा का गिरोह चलाने वालों से ऐसी सांठगांठ है कि आने वाले दिनों में प्रदेश की कानून व्यवस्था बर्बाद होती दिखे तो आश्चर्य नहीं होगा। इसके अलावा अपने जमाने के भोपाल में पदस्थ तेजतर्रार रहे ग्वालियर चंबल के पुलिस अधिकारी ने कहा हमारी पुलिस बहुत भ्रष्ट और अनुशासनहीन हो गई है। ड्यूटी के दौरान सिपाही से लेकर अधिकांश पुलिस अफसर तक रात में नशे में मिलते हैं। मेडिकल कराया जाए तो कई दिन में भी टुन्न मिलेंगे। ऐसे में प्रदेश की कानून व्यवस्था का भगवान ही मालिक है। इसमें भ्रष्टाचार के साथ सिफारिशी, बेईमान पुलिसकर्मियों का बोलबाला है। अब पुलिस जनता के लिए कम वीआईपी लोगों की निजी सुरक्षा एजेंसी बन कर रह गई है। सीएम की लाख चेतावनियों और हैरतअंगेज घटनाओं के बाद भी पुलिस – प्रशासन का निककमेपन की हद तक सोए रहना आखिर क्या दर्शाता है…? जितने जल्दी जागे उतना अच्छा है वरना गुना की घटना बताती है पानी सिर के ऊपर निकल रहा है।
सीएम चौहान ने रविवार की सुबह सात बजे हाउस में विभिन्न विभागों, सभी कलेक्टर्स, एसपी, सीएमओ, नगरीय विकास विभाग के अधिकारी, पीएच विभाग के अधिकारी, ग्रामीण विभाग और ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा- जितने फील्ड में बैठे हैं, चाहे वे चाहे कोई भी हों उनको पूरा साथ देना है। गुना का जिक्र करते हुए वे कहते हैं इस तरह के शिकार एक दिन में नहीं होते। अर्थात आशय यह कि शिकारबाजी पहले से चल रही थी। सिस्टम में ऐसे लोगों को चिन्हित कर लिया जाए। चाहे शिकारी हों, गो तस्करी करने वाले हों, जुआ-सट्टा चलाने वाले हों, ड्रग्स का धंधा करने वाले हों, अवैध शराब बेचने वाले हों, इनको कुचल देना है।
सीएम ने कहा- मुझे अपराधियों को नेस्तनाबूद करना है। भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस चाहिए। एक्शन में देरी नहीं हो। इसीलिए मैंने कल ग्वालियर आईजी को हटाया। अपराध नियंत्रण की जल्द ही दोबारा समीक्षा की जाएगी। इस मौके पर प्रदेश के डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना भी मौजूद रहे।
सीएम की इस हाई लेवल मीटिंग के बाद भी जिलों में पुलिस गुंडे बदमाशों की धरपकड़ में सक्रिय नही दिख रही है। हम प्याला हम निबलों के साथ गलबहियों का दौर जारी है। सीएम की चेतावनी का असर दिखे पूरा प्रदेश प्रतीक्षा कर रहा है। बहुत विस्तार में जाने की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनता की नब्ज जानते हैं और प्रशासन को भी पहचानते हैं। अपने मुख्यमंत्रित्व के चौथे कार्यकाल में सब खूब अच्छे से समझ गए हैं। इसलिए उनके फैसले और चेतावनी के ऊपर कोई संदेह नहीं है। यह अच्छी बात है। बुरी बात यह कि प्रशासन और पुलिस को यह बात समझ में आती नही दिख रही है।माफिया, गुंडा-अपराधी बेख़ौफ़ है और आपराधिक कारगुजारियां धड़ल्ले से जारी हैं।