TIO, वॉशिंगटन।

भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स एक बार फिर अंतरिक्ष जाने के लिए तैयार हैं। इस बार उनके साथ बुच विल्मोर भी रहेंगे। नासा के दो अनुभवी अंतरिक्ष यात्री बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान में सवार होकर अंतरिक्ष जाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यह पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष यान होगा, जो सात मई को उड़ान भरेगा। नासा के अनुसार, यूनाइटेड लॉन्च अलायंस एटलस वी रॉकेट और बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान सात मई की सुबह आठ बजकर चार मिनट पर कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा।

नए अंतरिक्ष यान में उड़ान भरने को लेकर उत्साहित
मिशन को संचालित करने जा रहीं सुनीता विलियम्स ने मीडिया कर्मियों से बात की। उन्होंने कहा कि वह थोड़ी सी घबराई हुई हैं। लेकिन नए अंतरिक्ष यान में उड़ान भरने को लेकर उत्साहित हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘जब मैं अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचूंगी, तो यह घर वापस जाने जैसा होगा।’

अंतरिक्ष में बिता चुकी हैं कुल 322 दिन
डॉ. दीपक पांड्या और बोनी पांड्या के घर जन्मीं सुनीता विलियम्स एक बार फिर इतिहास रचेंगी। वह ऐसी पहली महिला होंगी, जो मानवयुक्त अंतरिक्ष यान के पहले मिशन पर उड़ान भरेंगी। वह साल 2006 और 2012 में दो बार अंतरिक्ष जा चुकी हैं। विलियम्स ने दो मिशनों में अंतरिक्ष में कुल 322 दिन बिताए हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

यह रिकॉर्ड भी इनके नाम
एक समय ऐसा था जब उनके नाम पर एक और रिकॉर्ड दर्ज था। वह एक महिला अंतरिक्ष यात्री द्वारा सबसे अधिक स्पेसवॉक समय के लिए रिकॉर्ड रखती थी क्योंकि उन्होंने सात स्पेसवॉक में 50 घंटे और 40 मिनट बिताए थे। सुनीता ने दूसरी अंतरिक्ष उड़ान 14 जुलाई 2012 को भरी थी। तब वो अंतरिक्ष में चार महीने रही थीं। सुनीता ने 50 घंटे 40 मिनट स्पेसवॉक करके फिर एक नया रिकॉर्ड बनाया था। हालांकि, उसके बाद पेगी व्हिटसन ने 10 स्पेसवॉक के साथ उनका रिकॉर्ड तोड़ दिया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष यात्रा में अपने साथ भगवान गणेश की मूर्ति, उपनिषद के साथ-साथ समोसे भी लेकर गईं थी। 18 नवंबर, 2012 को उनका दूसरा मिशन खत्म हुआ था।

दो बार जा चुकी हैं अंतरिक्ष
सुनीता विलियम्स के पिता गुजरात के मेहसाणा जिले के झुलासान में पैदा हुए एक न्यूरोएनाटोमिस्ट थे, लेकिन बाद में अमेरिका चले गए और बोनी पांड्या से शादी कर ली। फिलहाल, सुनीता अब बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान पर क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन का पायलट बनने की तैयारी कर रही हैं। उनका जून 1998 में अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा में चयन हुआ था। नौ दिसंबर 2006 में वह पहली बार अंतरिक्ष गई थीं। उन्हें इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में भेजे गए 14वें शटल डिस्कवरी के साथ रवाना किया गया था। इसके बाद 2012 में उनकी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा शुरू हुई थी। तब उन्होंने कजाकिस्तान के बैकोनूर से रूसी रॉकेट सोयूज टीएमए-05एम से उड़ान भरी थी।

गणेश की मूर्ति साथ लेकर जाएंगी
तीसरी बार उड़ान भरने से पहले विलियम्स ने बताया कि वह भगवान गणेश की एक मूर्ति साथ लेकर जाएंगी। उनका मानना है कि गणेश उनके लिए भाग्यशाली हैं। वह अपने साथ भगवान गणेश की मूर्ति साथ ले जाने को लेकर खुश थीं। इससे पहले सुनीता अपने साथ अंतरिक्ष में भगवदगीता लेकर गईं थीं। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें समासे बहुत पसंद हैं।

अपनी पिछली उड़ानों में, वह भगवद गीता की प्रतियां अंतरिक्ष में ले गई हैं। उसने यह भी कहा कि उसे समोसे बहुत पसंद हैं! अपने अन्य जुनून के बीच, वह एक मैराथन धावक भी हैं और आईएसएस में रहते हुए मैराथन दौड़ती हैं। अपने अन्य जुनून के अलावा, वह एक मैराथन धावक भी हैं और आईएसएस में रहते हुए उन्होंने मैराथन दौड़ भी लगाई।

अंतरिक्ष यात्री बनने से पहले क्या काम करती थीं?
सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितंबर, 1965 को यूक्लिड, ओहियो में हुआ था। 1987 में उन्होंने अमेरिकी नौसेना अकादमी से फिजिकल साइंस में बैचलर की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर की। नासा से जुड़ने से पहले वो अमेरिका की नौसेना में काम करती थी। उस समय उन्होंने 30 से ज्यादा विभिन्न विमानों में 3000 से ज्यादा उड़ान घंटे दर्ज किए थे। सुनीता विलियम्स फिलहाल अभी अपने तीसरे अंतरिक्ष मिशन की तैयारी कर रही हैं।

भारतीय मूल की सुनीता को कई देशों की सरकार ने सम्मानित किया है। भारत सरकार ने उन्हें 2008 में पद्मभूषण से सम्मानित किया था। रूस की सरकार ने उन्हें मेडल आॅफ मेरिट इन स्पेस एक्सप्लोरेशन दिया। वहीं, स्लोवेनिया की सरकार ने उन्हें गोल्डन आॅर्डर आॅफ मेरिट सम्मान से नवाजा था। नासा ने उन्हें नासा स्पेसफ्लाइट मेडल दिया, जो स्पेस मिशन में महत्वपूर्ण उपलब्धि या सेवा के लिए दिया जाता है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER