TIO, लंदन।
ब्रिटेन में लोग लंबे समय तक सिक लीव पर रहते हैं, जिसके कारण काम प्रभावित हो रहा है। ऐसे में अब प्रधानमंत्री ऋषि सुनक लंबे समय वाली सिक लीव के नियमों को कड़ा करने पर विचार करेंगे। सुनक इसलिए यह कदम उठाएंगे ताकि स्थायी रूप से कार्यबल से बाहर हो जाने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि को रोका जा सके। लंबी अवधि की बीमारी में वृद्धि और छात्रों की अधिक संख्या के कारण श्रम शक्ति में भागीदारी 2015 के बाद से सबसे कम है, अन्य बड़े समृद्ध देशों के विपरीत जहां 2020 के बाद से भागीदारी में वृद्धि देखी गई है।
काम नहीं करने वाले लोगों की बढ़ती संख्या
सुनक ने शुक्रवार को कहा कि मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के कारण काम नहीं करने वाले लोगों की बढ़ती संख्या एक चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि हमें लोगों को काम पर वापस लाने में मदद करने के बारे में अधिक महत्वाकांक्षी होने की आवश्यकता है और जीवन की रोजमर्रा की चुनौतियों को अधिक चिकित्सा के जोखिम के बारे में और अधिक ईमानदार होने की जरूरत है।
206,000 अस्थायी रूप से बीमार
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 16 से 64 वर्ष की आयु के लगभग 9.4 मिलियन लोग यानी 22 फीसदी न तो काम कर रहे हैं और न ही बेरोजगार हैं, जो महामारी से ठीक पहले 8.55 मिलियन थे। उनमें से, 2.8 मिलियन लंबे समय से बीमार हैं और 206,000 अस्थायी रूप से बीमार हैं। पिछले साल ब्रिटेन के बजट प्रहरी ने कहा था कि लंबे समय तक बीमारी के कारण काम से दूर रहने वाले एक चौथाई लोग चिकित्सा उपचार की प्रतीक्षा कर रहे थे, हालांकि यह भी कहा गया था कि प्रतीक्षा सूची को 2015 तक हटा भी दिया जाए तो 25,000 लोग ही काम पर वापस आ सकते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, लंबे समय तक बीमार लोगों में से आधे से अधिक ने ‘अवसाद, खराब नसों या चिंता’ से पीड़ित होने की जानकारी दी, हालांकि कई लोगों ने कहा कि यह उनकी मुख्य स्वास्थ्य समस्या के साथ एक माध्यमिक स्थिति थी।
डॉक्टर सिक लीव लेने की सलाह दे रहे
सुनक के कार्यालय ने कहा कि डॉक्टर काम पर लौटने की बजाय सिक लीव लेने की सलाह दे रहे हैं। सुनक ने कहा, ‘इसलिए हमें यह रवैया बदलने की जरूरत है, ताकी लोगों को काम पर वापस लाया जा सके। हमें यह देखना होगा की जो शख्स छुट्टी ले रहा है वो क्या काम कर सकता है, उससे उसी अनुसार काम कराया जाए।’