TIO, नई दिल्ली।

मार्च ने बढ़ते तापमान के पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यदि औद्योगिक काल से पहले की तुलना में देखें तो इस साल मार्च का औसत तापमान 1850 से 1900 के बीच मार्च में दर्ज किए गए औसत तापमान से 1.68 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है। कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार बढ़ते तापमान के यह आंकड़े इस बात को पुख्ता करते हैं कि पृथ्वी बड़ी तेजी से गर्म हो रही है और इसके प्रभाव पूरी दुनिया में महसूस किए जा रहे हैं। मार्च के दौरान वैश्विक स्तर पर सतह के पास हवा का औसत तापमान 14.14 डिग्री सेल्सियस (डिसे.) रिकॉर्ड किया गया। यह 1991 से 2020 के दौरान मार्च में दर्ज औसत तापमान से 0.73 अधिक है।

0.10 डिग्री सेल्सियस आठ साल में बढ़ा तापमान
इससे पहले सबसे गर्म मार्च वर्ष 2016 में दर्ज किया गया था। 2016 की तुलना में 2024 में मार्च का तापमान 0.10 डिग्री सेल्सियस अधिक है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार इससे पहले जनवरी और फरवरी 2024 ने भी बढ़ते तापमान का रिकॉर्ड बनाया था। जनवरी में तापमान सामान्य से 1.66 और फरवरी 2024 में भी तापमान 20वीं सदी में फरवरी के औसत तापमान से 1.4 डिसे. ज्यादा था।

बढ़ते तापमान के कारण गहराते जा रहे जलवायु संकट के प्रभाव
कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के अनुसार लगातार बढ़ते तापमान के कारण जलवायु संकट के प्रभाव गहराते जा रहे हैं। जून 2023 से यह लगातार 10वां महीना है जब बढ़ते तापमान ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है। यदि पिछले 12 महीनों यानी अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के तापमान पर गौर करें तो वह 1991 से 2020 के वैश्विक औसत तापमान से 0.70 डिग्री ज्यादा रिकॉर्ड किया गया है।

ग्रीन हाउस गैसों में तत्काल कटौती की बहुत जरूरत
कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की उप निदेशक सामंथा बर्गेस कहती हैं कि मार्च 2024, लगातार दसवां महीना है जब हवा और समुद्र का तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। यदि पिछले 12 महीनों में तापमान के औसत को देखें तो वो औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.58 डिग्री सेल्सियस अधिक है। ऐसे में हमें बढ़ते तापमान को रोकने के लिए ग्रीनहाउस गैसों में तत्काल कटौती करने की जरूरत है।

आर्कटिक में जमा समुद्री बर्फ साल के सबसे निचले स्तर पर
सी3एस के अनुसार ध्रुवों पर जमा बर्फ भारी तापमान के कारण लगातार पिघल रही है। मार्च में आर्कटिक में जमा समुद्री बर्फ साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई। इसका मासिक औसत विस्तार 1.49 करोड़ वर्ग किलोमीटर दर्ज किया गया जो सामान्य से कम है। मार्च 2024 में दर्ज समुद्री बर्फ का विस्तार 1980 और 1990 के दशक से करीब 25 फीसदी कम है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER