TIO, दिल्ली/रायपुर।

छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले पर TIO की खबर का असर दिखने लगा है। दरअसल लंबे समय से बंद पड़ी जांच की कार्रवाई में अचानक आई तेजी बताती है कि TIO की खबर का असर छत्तीसगढ़ में ही नहीं दिल्ली के भी कान खड़े कर दिए हैं। अखबार देश के सभी शीर्ष नेताओं से लेकर अफसरों तक पहुंचने के बाद शराब घोटाले की जांच ने अपनी राह पकड़ ली है। पिछले तीन दिनों से TIO के ऊपर तरह-तरह के दबाव बनाए जा रहे थे। पर प्रबंधन ने शराब घोटाले से जुड़े मामलों को प्रकाशित करने से नहीं रोका। सोशल मीडिया पर भी अखबार की कतरन खूब चल रही है। जिससे सभी होश उड़ गए हैं। हमारा मकसद सिर्फ एक ही है किसी भी भ्रष्टाचार को उजागर करना। यही छत्तीसगढ़ के घोटाले पर मैंने किया। खास बात यह भी है कि राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद भी शराब घोटाले की जांच में वह तेजी नहीं दिख रही, जो दिखनी चाहिए। इसका मुख्य कारण कुछ अधिकारी और शराब माफियाओं को बचाना भी है। हालांकि केन्द्र सरकार ने सख्त निर्देश दिए हैं कि जांच में कोई कोताही नहीं होना चाहिए। मामला चाहे जो भी हो, लेकिन TIO की खबर का असर दिखने लगा है। खबर प्रकाशित होने के बाद से कानूनी कार्यवाही नियमानुसार शुरू होने से भ्रष्टाचार के मामलों में राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति की झलक देखने को मिल रही है। पूर्व सुपर सीएम सौम्या चौरसिया की जमानत से जुड़ी एक याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के आसार हैं। सेंट्रल जेल में बंद सौम्या चौरसिया ने अपनी जमानत को लेकर रायपुर में ईडी की विशेष अदालत में एक याचिका दायर की है। इसमें कई कारण गिनाकर जमानत की मांग की गई है।

अदालती सूत्र बताते हैं कि अभियोजन पक्ष आरोपी सौम्या की जमानत के विरोध में है। उसने हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक शराब घोटाले में लिप्त तमाम आरोपियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए स्पष्ट भी किया है की ऐसे आरोपियों को जमानत का लाभ दिए जाने से जांच प्राभावित हो सकती है।जानकारी के मुताबिक आरोपी सौम्या की जमानत का विरोध करने के लिए कई नागरिकों और स्वयं सेवी संस्थाओं ने भी अदालत का रूख किया है। उनकी याचिकाओं में दलील दी गई है की शराब घोटाले की जांच सीबीआई के हवाले की जाए ? उनके मुताबिक प्रभावशील आरोपियों ने ईओडब्ल्यू और ईडी की जांच को काफी प्रभावित किया है। इन याचिकाओं को लेकर अदालती गलियारे में गहमा गहमी भी देखी जा रही है। यह भी बताया जाता है कि आरोपी सौम्या के अलावा आबकारी विभाग के पूर्व सचिव ए पी त्रिपाठी को भी अदालत में पेश किया जा सकता है। ईओडब्ल्यू की टीम ने त्रिपाठी को बिहार से अपने कब्जे में लिया था।

हालाकि त्रिपाठी की गिरफ्तारी की आधिकारिक पुष्टि ईओडब्ल्यू ने अभी नही की है। इसके अलावा कारोबारी अनवर ढेबर और अरविंद सिंह को भी ईओडब्ल्यू की टीम अदालत में पेश करेगी। उनकी 4 दिनों की रिमांड की अवधि पूर्ण हो चुकी है। राज्य के 22 सौ करोड़ के शराब घोटाले में छापेमारी और नई गिरफ्तारी से प्रशासनिक और राजनैतिक हलकों में सनसनी है।शराब घोटाले में तकनीकी आधार पर ईडी की पूर्व में दर्ज ईसीआईआर को सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में खारिज कर दिया था। इसके बाद से विवेचना के दौरान ईओडब्ल्यू और ईडी समेत अन्य जांच एजेंसियां आरोपियों के खिलाफ फूंक फूंक कर कदम उठा रहीं हैं। एजेंसियों के गलियारों से खबर आ रही है कि अबकी बार 77 पार, कहा जा रहा है कि लगभग 77 आरोपियों की गिरफ्तारी से भूचाल के आसार हैं। सूत्रों का दावा है कि ईडी ने नए सिरे से ईसीआईआर दर्ज कर शराब घोटाले में लिप्त आरोपियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अबकी बार 77 से ज्यादा दागी अधिकारियों और कारोबारियों पर एजेंसियों ने अपना शिकंजा कसा है। सूत्र बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ कई आरोपियों ने अपने बयान दर्ज कराए हैं।

उन्होंने साफ कर दिया है कि तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा सिर्फ कठपुतली मात्र थे, घोटाले का खेल आरोपी ए पी त्रिपाठी के जरिए अंजाम दिया जा रहा था, नगद रकम तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल और उनके परिजनों समेत कुछ चुनिंदा कारोबारियों और अधिकारियों को सौंपी जाती थी। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश के कार्यालय में पदस्थ रही उपसचिव सौम्या चौरसिया की भूमिका महत्वपूर्ण होती थी। शराब घोटाले में ईओडब्ल्यू ने अपनी कार्यवाही तेज कर दी है। बिलासपुर में एफलएल 10 ए कंपनी के सीए संजय मिश्रा के आॅफिस, रायपुर में समता कॉलोनी स्थित गोविंद कुंज में निवासरत अधिकारी, दुर्ग और भिलाई के शराब कारोबारी पप्पू बंसल और ढिल्लन के यहां ईओडब्ल्यू ने दस्तक दी है। हालाकि छापेमारी को लेकर भी ईओडब्ल्यू की ओर से अभी कोई आधिकारिक रूप से बयान सामने नही आया है। बताते हैं कि अचानक हुई छापेमारी से पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के खेमे में हड़कंप है।

कई शराब कारोबारियो द्वारा अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि शराब की कालाबाजारी और तस्करी में लिप्त कुछ चुनिंदा नए चेहरे ईओडब्ल्यू के हत्थे चढ़ सकते है। उनसे पूछताछ भी शुरू हो गईं है, ये सभी भूपेश के करीबी बताए जाते है। राज्य के सबसे बड़े 2200 करोड़ के शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय अभी तक बमुश्किल महज 200 करोड़ की संपत्ति ही जब्त कर पाया है, शेष लगभग 2000 करोड़ की बरामदगी जांच एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही है। लिहाजा अबकी बार 77 पार का आंकड़ा निर्धारित कर एजेंसियां ने सरकारी तिजोरी को हुए भारी भरकम नुकसान की भरपाई का खांका भी खींचा है। फिलहाल सौम्या समेत अन्य आरोपियों को जेल या बेल पर फैसला आज ही आने के आसार हैं।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER