TIO, सुल्तानपुर।
मेनका गांधी सुल्तानपुर में अपने चुनाव प्रचार में जुट गई हैं। भाजपा ने उन्हें यहां से फिर टिकट दिया है, लेकिन उनके बेटे वरुण गांधी का पीलीभीत से टिकट काट दिया। इस बाद पीलीभीत से जितिन प्रसाद को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। मेनका गांधी ने सुल्तानपुर सीट पर अपनी संभावनाओं को लेकर कहा, ‘पूरे देश में पीएम मोदी और बीजेपी की लहर है। सुल्तानपुर में भी वही लहर चल रही है और उस लहर में मैं भी शामिल हूं। लहर काम करने से ही बनती है। पहले दिन से मैं कैंपेनिंग मोड में हूं। काम की वजह से जनता मुझे जान रही है।’
पीलीभीत से अपने बेटे का टिकट कटने पर प्रतिक्रिया देते हुए मेनका गांधी ने कहा, ‘उन्होंने पीलीभीत का बहुत अच्छे से ख्याल रखा। मुझे उन पर गर्व है। जब वरुण को पीलीभीत छोड़ना पड़ा तो लोग काफी रोये। मुझे पुूरी उम्मीद है कि वरुण आगे जो भी करेगा, वह देश के लिए अच्छा होगा।’ सुल्तानपुर में बूथों पर मुस्लिम महिला एजेंट तैनात करने की बीजेपी की योजना पर मेनका गांधी ने कहा, ‘जो भी बूथ संभालने वाला हो, वह काम करे। हमें जात और कौम से कोई मतलब नहीं है। जो भी बूथ एजेंट बने, वह अच्छे से बूथ संभाले।
सपा द्वारा कई सीटों पर अपने उम्मीदवार बदलने पर उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं जानती कि समाजवादी पार्टी क्या करने वाली है। जो भी आ जाए, खुशी-खुशी चुनाव लड़े। चुनाव लड़ना सबका हक है, लेकिन जीत तो सिर्फ एक की ही होगी।’ इससे पहले गुरुवार को सुल्तानपुर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए मेनका गांधी ने कहा था, ‘मैं सांसद नहीं बल्कि सेवक के रूप में जनता का काम करती हूं। वादों में नहीं, विकास में विश्वास करती हूं। यूपी में गरीबों को सबसे ज्यादा 1.30 लाख मकान सुल्तानपुर में मिले हैं। चुनाव बाद 1 लाख और गरीबों को मकान मिलेगा। मेरे रहते सबको न्याय मिलेगा। पांच वर्षों में हर नामुमकिन कामों को पूरा किया है।’
पीलीभीत से टिकट नहीं मिलने के बाद वरुण गांधी ने ऐलान किया था कि वह इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे। गत 3 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीलीभीत में बीजेपी की तरफ से आयोजित प्रबुद्ध सम्मेलन में हिस्सा लिया तो भी वरुण गांधी मंच पर नहीं दिखे। पीलीभीत से बीजेपी उम्मीदवार जितिन प्रसाद कार्यक्रम में सीएम योगी के साथ मौजूद थे। उन्होंने 28 मार्च को पीलीभीत की जनता के नाम एक पत्र लिखा था, जिसमें खुद को यहां का बेटा बताया था। वरुण गांधी ने अपने पत्र में कहा था कि पीलीभीत के लोगों के साथ उनका रिश्ता राजनीति से परे है और वह लोगों की सेवा के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं।
पीलीभीत से मेरा रिश्ता मेरी आखिरी सांस तक खत्म नहीं हो सकता: वरुण गांधी
वरुण गांधी ने अपने पत्र में लिखा था, ‘आज जब मैं यह पत्र लिख रहा हूं तो अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है। मुझे वह 3 साल का छोटा बच्चा याद है जो 1983 में अपनी मां की उंगली पकड़कर पहली बार पीलीभीत आया था, उसे क्या पता था कि एक दिन यह धरती उसकी कर्मभूमि बन जाएगी और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे। मैं आम आदमी की आवाज उठाने के लिए राजनीति में आया हूं और आज मैं आपका आशीर्वाद चाहता हूं कि मैं हमेशा यह काम करता रहूं, चाहे इसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े। मेरा और पीलीभीत का रिश्ता प्यार और विश्वास का है। भले ही एक सांसद के रूप में मेरा कार्यकाल समाप्त हो रहा है, लेकिन पीलीभीत से मेरा रिश्ता मेरी आखिरी सांस तक खत्म नहीं हो सकता। एक सांसद के रूप में नहीं तो एक बेटे के रूप में, मैं जीवन भर आपकी सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हूं और मेरे दरवाजे पहले की तरह आपके लिए हमेशा खुले रहेंगे।’