TIO, भोपाल।
रवीन्द्र भवन में रविवार को ह्रदय दृश्यम का कर्टन रेजर इवेंट आयोजित किया गया। इसमें अलग-अलग सभागार में एल शंकर, मामे खां और इंडियन ओशन बैंड की एक के बाद एक प्रस्तुतियां हुर्इं, जिसे सुनने के लिए दर्शक इधर से उधर दौड़ते नजर आए।
शाम 6:30 बजे शुरूआत अंजनी सभागर में वायलिन वादक एल. शंकर की प्रस्तुति से हुई। जिसमें उन्होंने डबल वायलिन पर दक्षिण भारत और उत्तर भारत की रागों को एक साथ पेश किया। शंकर ने राग कावरीचिंद की प्रस्तुति दी, जिसे उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत के रागों में दादरा के समकक्ष माना जाता है। तबले की संगत के साथ उन्होंने रागम, पल्लवी राग की शानदार प्रस्तुति दी।
मुक्ताकाश मंच पर मामे खां ने राजस्थान की खुशबू बिखेरते हुए अपनी प्रस्तुति की शुरूआत ‘केसरिया बालम…’ गाने से की। फिर ‘मां तुझे सलाम…’ सुनाया। इसके बाद उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत में गाया गाना ‘बावरे…’ सुनाया। ‘जद देखूं बना री लाल पीली अखियां…’ गाने की प्रस्तुति दी। एक से बढ़कर एक गानों के साथ उन्होंने हाल ही में रिलीज हुआ ‘लागी रे लगन तोसे लागी रे लगन…’ से समां बांध दिया। फिर ‘लुक-छिप ना जाओ जी…’ ‘सजदे…’ और आखिरी में ‘दमा-दम मस्त कलंदर…’ से समारोह में समा बांध दिया। खचाखच भरे मुक्ताकाश में साउंड सिस्टम से निकलने वाली तरंगों पर ऐसा महसूस हो रहा था कि संगीत जमीन के नीचे से आ रहा है। ऐसी प्रस्तुति भोपाल में बहुत कम ही होती हैं। भोपाल के आम लोग फ्री एंट्री के साथ इसका आनंद लिया।
इंडियन ओशन बैंड ने सुनाया ‘ये दुनिया थोड़ी क्षणभंगुर, दुनिया थोड़ी थेथर है…
हंसध्वनि के 1500 सीटर हॉल में इंडियन ओशन बैंड को सुनने के लिए इतनी तादात में दर्शक पहुंचे कि सीटें कम पड़ गईं। बैंड ने शुरूआत ‘ब्रह्मानंदम परमसुखदम केवलम आनमूर्तीम’ से की। इसके बाद राहुल राम ने कहा कि हम इश्क के गाने कम करते हैं, लेकिन अगला गाना रेलवे को डेडिकेट कर रहे हैं और फिर जैसे ही उन्होंने मसान फिल्म का गाना ‘तू किसी रेल सी गुजरती है’ गाया तो आॅडियंस भी उनके साथ गुनगुनाती नजर आई। सूत्रधार के रूप में राहुल राम ने कहा कि चलिए अब चलते हैं 500 साल पहले, जहां कबीर दास के दोहे ‘झीनी- झीनी रे झीनी चदरिया’ से लोगों में मनोरंजन करेंगे। इसके बाद उन्होंने ‘जादूनमा’ सुनाया। फिर ‘ये दुनिया थोड़ी क्षणभंगुर है, दुनिया थोड़ी थेथर है, तुम जितनी जहर समझते हो, बस उस से थोड़ी बेहतर है…’ सुनाया।