अरविंद तिवारी
मुख्यमंत्री मोहन यादव के बेटे की शादी 26 फरवरी को है। बड़ा कार्यक्रम उज्जैन में होगा और स्वाभाविक है फिर भोपाल और दिल्ली में भी जश्न मनाया जाएगा। बेटे की शादी का न्यौता देने के लिए मुख्यमंत्री के लगातार दिल्ली दौरे हो रहे हैं। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के साथ ही उपराष्ट्रपति तक निमंत्रण पहुंच चुका है। वैसे दिल्ली दौरे की प्रक्रिया एक पंथ दो काज जैसी है। प्रधानमंत्री को निमंत्रण देने के साथ ही मुख्यमंत्री ने मौके का फायदा लेते हुए अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड भी उनके सामने रख दिया। हाथों-हाथ कुछ टिप्स भी प्रधानमंत्री से मिल गए। अब सबकी निगाहें 26 फरवरी को महाकाल की नगरी में होने वाले पहले आयोजन पर है।
अभी भी जादू तो बरकरार है शिवराज का
कोई कुछ भी कहे, लेकिन शिवराज चौहान का जादू अभी भी बरकरार है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री की झाबुआ यात्रा के दौरान शिवराज भी झाबुआ पहुंचे। प्रधानमंत्री का हेलीकाफ्टर लैंड करता इसके पहले शिवराज मंच पर पहुंचे। जैसे ही लोगों ने उन्हें देखा पूरा हुजूम मामा-मामा कहकर चिल्लाने लगा। मंच पर मौजूद दूसरे नेताओं के साथ ही एसपीजी के अफसरों का चेहरा भी देखने लायक था। शिवराज मौके की नजाकत भांप गए और बिना विलंब के मंच से नीचे चले गए। बाद में जब वे प्रोटोकाल के चलते प्रधानमंत्री के मंच पर पहुंचने से पहले पहुंचे तो फिर लोग उन्हें देखते ही मामा-मामा कहने से नहीं चूके।
जीतू पटवारी को रोकने के लिए कमलनाथ का मास्टर स्ट्रोक
मध्यप्रदेश से कांग्रेस कोटे से राज्यसभा में जाने के लिए जीतू पटवारी सबसे आगे चल रहे थे। कांग्रेसी ही तरह-तरह की बातें करने लगे थे। सौदे और एडवांस तक की चर्चा हो रही थी। कमलनाथ भला इसे कैसे पचा पाते। अपने समर्थक 11 विधायकों और कुछ दिग्गज नेताओं के साथ उन्होंने दिल्ली दरबार में दस्तक दी और कहा कि राज्यसभा के लिए सबसे मजबूत तो मेरा दावा है। इस बार मुझे मौका मिलना चाहिए। उनके इस कदम ने खुद को सबसे सेफ जोन में मान रहे पटवारी की नींद हराम कर दी। कमलनाथ की राज्यसभा में इंट्री रोकने के लिए पार्टी के ही एक धड़े ने सोनिया गांधी को मध्यप्रदेश से राज्यसभा में भेजने की बात को आगे बढ़ाया लेकिन कहीं कोई रिस्पांस नहीं मिला।
सबकी निगाहें हैं विवेक तन्खा के अगले कदम पर
हालांकि विवेक तन्खा खुले तौर पर यह कह चुके हैं कि मैं जहां हूं वहीं ठीक हूं। जगत बहादुर अन्नू और शशांक शेखर जैसे उनके कट्टर समर्थक भाजपा का दामन थाम चुके हैं। अभी कांग्रेस में जो हालात हैं, उससे तन्खा बिलकुल खुश नहीं हैं। प्रमोद कृष्णनन जैसे अपने बौद्धिक सलाहकार की कांग्रेस से बेदखली भी तन्खा को भा नहीं रही है। जिस अंदाज में मध्यप्रदेश में जीतू पटवारी कांग्रेस चला रहे हैं, वह भी इस ख्यात विधिवेत्ता के मिजाज के मुताबिक नहीं है। इस सबके बीच उनके कांग्रेस छोडऩे की चर्चा के दिन-ब-दिन बलवती होना स्वाभाविक है। देखते रहिए आगे क्या-क्या होता है।
ट्रांसपोर्ट कमिश्नर नहीं तो एडिशनल कमिश्नर ही सही
डी.पी. गुप्ता की ट्रांसपोर्ट कमिश्नर पद पर नियुक्ति के पहले उमेश जोगा को ट्रांसपोर्ट कमिश्नर पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा था। उन्होंने ‘सिस्टम’ भी फालो कर लिया था, लेकिन नियुक्ति आदेश जारी होता उसके पहले ही धीमी गति से चल रहे गुप्ता उन्हें पीछे छोड़ आगे निकल गए। जोगा भी मानने वाले नहीं थे, उन्हें ट्रांसपोर्ट कमिश्नर पद पर बैठा देखने वाले भी हार मानने वाले नहीं थे। बीच का रास्ता निकाला गया और जोगा को वहीं पर एडिश्नल कमिश्नर बना दिया गया। प्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका है जब एक ही पोजीशन वाले दो अफसर एक ही महकमे में बॉस और मातहत की भूमिका में रहेंगे।
एसपी के इस अंदाज की भी बड़ी चर्चा है
प्रधानमंत्री का प्रोटोकॉल और उसे पर एसपीजी की पैनी निगाहें। स्वाभाविक है ड्यूटी बहुत मुस्तैदी से करना पड़ती है और हर पाइंट पर अलर्ट भी रहना पड़ता है। प्रधानमंत्री के झाबुआ दौरे के दौरान 3500 पुलिस कर्मी चार दिन तक झाबुआ में रहे। इनमें से 300 टीआई से लेकर एडीजी स्तर तक के पुलिस अफसर थे। इनके रहने और खाने का बंदोबस्त करना कोई आसान काम नहीं था वह भी झाबुआ जैसी छोटी जगह पर। ऐसे में झाबुआ एसपी की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है। युवा आईपीएस अफसर अगम जैन ने इसे बखूबी निभाया। यही नही कार्यक्रम समाप्ति के बाद उनका जो बेहद विनम्र भाव वाला एसएमएस ड्यूटी पर तैनात अफसरों के पास पहुंचा उसने सबका दिल जीत लिया।
चलते-चलते
प्रदेश के सारे निगम मंडल और आयोग भंग कर दिए गए हैं। नए पदाधिकारियों का फैसला लोकसभा चुनाव के बाद ही होगा और इसमें विधानसभा के साथ ही लोकसभा चुनाव में परफॉर्मेंस और पॉलिटिकल एडजस्टमेंट सबसे बड़ा आधार रहेगा। देखते हैं इंदौर से किस-किस को अब मौका मिलता है।
बेहद सख्त और नियम कायदे से चलने वाले आईपीएस अफसर अनुराग का नाम ग्वालियर रेंज के आईजी के लिए प्रस्तावित था। वहां के दो बड़े नेता इस सख्त मिजाज अफसर के नाम से सहमत नहीं हुए तो डीजी सुधीर सक्सेना के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री उन्हें इंदौर रेंज की कमान सौंपने पर सहमत हो गए।
पुछल्ला
मनीष रस्तोगी को आधी रात को मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव पद से बेदखल कर दिया गया था। बड़ी मुश्किल से जेल महकमे का प्रभार मिला था, अचानक सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव बना दिए गए और साथ ही जेल महकमे का प्रभार भी बरकरार रखा गया। कहा जा रहा है कि इन दिनों मुख्यमंत्री के बेहद नजदीकी माने जाने वाले एक आईएएस अफसर की मदद के कारण रस्तोगी के दिन फिरे हैं।
बात मीडिया की
- बेबाकी हो तो नईदुनिया के स्टेट एडिटर सद्गुरुशरण अवस्थी जैसी। इंदौर के सांध्य दैनिक खुलासा फर्स्ट ने हरदा हादसे के बाद इंदौर की मैदानी स्थिति को लेकर शानदार फालोअप स्टोरी की तो स्टेट एडिटर ने टीम नईदुनिया वाट्सएप ग्रुप पर ही उसकी तारीफ करते हुए लिख डाला कि टीम इंदौर, एक छोटे अखबार के उत्साह, प्लानिंग और आउटपुट से बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
- दैनिक भास्कर में रिपोर्टर्स की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार हो गई है। अब इस रिपोर्ट के आधार पर एनालिसिस से शुरू हो गया है जिसका नतीजा मार्च में देखने को मिलेगा।
- जल्दी ही प्रारंभ होने वाले न्यूज चैनल विस्तार टीवी से जुडऩे के लिए मालवा-निमाड़ के कई युवा रिपोर्टर प्रयत्नशील हैं। चैनल के दफ्तर में मालवा-निमाड़ से पहुंचे आवेदनों की स्क्रूटनी चल रही है। यहां नियुक्ति के लिए जो पैमाने तय किए गए हैं, उससे तो यही लगता है कि ठोक-बजाकर ही नियुक्ति दी जाएगी।
- माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय नई पीढ़ी के पत्रकारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने और उनका प्रोफेशनल एक्सीलेंस बढ़ाने के लिए मोबाइल जर्नलिज्म यानि मोजो और ग्रामीण पत्रकारिता के शार्टटर्म डिप्लोमा कोर्स शुरू करने जा रहा है।