विधानसभा से मुद्रा केसवानी की रिपोर्ट
मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र का आगाज बुधवार को हो चुका है। राज्यपाल मंगू भाई पटेल के अभिभाषण के साथ सत्र की शुरूआत हुई। वहीं विपक्ष ने राज्यपाल के अभिभाषण पर जमकर हंगामा किया और बहिष्कार करते हुए सदन में बीजेपी का घोषणा पत्र लहराया। कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश सरकार गवर्नर से झूठ बुलवा रही है। वहीं सत्ता पक्ष के नेता ने कहा कि ये राज्यपाल के अभिभाषण का नहीं बल्कि राम मंदिर का विरोध है। फिलहाल सदन की कार्यवाही कल सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
राज्यपाल से झूठ बुलवा रही सरकार- नेता प्रतिपक्ष
विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष उमंग संघार ने कहा कि सरकार राज्यपाल से झूठ बुलवा रही इसलिए बहिष्कार किया है। संकल्प पत्र में वादे किए, लेकिन किसानों से लेकर किसी को लाभ नहीं दिया जा रहा है। रोजगार दे नहीं रहे, बस दावा कर रहे हैं। एमएसपी पर खरीदी नहीं हो रही है।
अभिभाषण से सहमत नहीं- दिनेश गुर्जर
कांग्रेस विधायक दिनेश गुर्जर ने कहा कि राज्यपाल मंगूभाई पटेल के अभिभाषण से सहमत नहीं है। इसलिए बहिष्कार किया है।
कांग्रेस को बस विरोध करना था- मंत्री प्रहलाद पटेल
कैबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि गवर्नर के अभिभाषण के बाद धन्यवाद की परंपरा है, उसमें राय दी जाती है। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने संशोधन भी मांगा था। संशोधन के लिए शाम तक का वक्त भी दिया था, लेकिन कांग्रेस को तो विरोध करना था।
विकास नहीं दिख रहा
कैबिनेट मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि कांग्रेस को विकास नहीं दिख रहा है। भारत देश बदलता नहीं दिख रहा है। सड़क पुल नहीं दिख रहे, किसानों के हित में फैसला मेडिकल कॉलेज कांग्रेस को नहीं दिख रहा है।
ये राम मंदिर का विरोध
बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि ये राज्यपाल के अभिभाषण का नहीं, बल्कि राम मंदिर का विरोध है। कांग्रेस ने राम मंदिर निर्माण का विरोध किया है। मंदिर से कांग्रेस के प्राण उसे हुए हैं। कांग्रेस राम मंदिर का निर्माण सहन नहीं कर पा रही इसलिए विरोध कर रही है।
रामेश्वर के बयान पर कांग्रेस का पलटवार
कांग्रेस विधायक नितेंद्र सिंह राठौड़ ने भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इसे राम जी से जोड़ रही है। कांग्रेस तो सनातनी है। रोजगार नहीं मिल रहा, क्या यह नहीं पूछा जाए ? बीजेपी वादे पूरा नहीं कर रही क्या यह न पूछा जाए ? सरकार गंभीर विषयों पर चर्चा ही नहीं करना चाहती।