TIO, नई दिल्ली।

भारत में टीबी के मामलों में गिरावट देखी गई है। साल 2015 में एक मिलियन से घटकर यह आंकड़ा 2023 में 0.26 मिलियन यानी कि पिछले आठ सालों में संख्या करीब आठ लाख कम हो गयी है। केंद्रीय स्वास्थय मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि यह गुमनाम मरीजों के आंकड़े जो जारी किए गए हैं। उन्होंने मंगलवार को कहा कि महामारी के दो चुनौतीपूर्ण वर्षों के बाद, भारत में टीबी की घटनाओं में 16 प्रतिशत की कमी देखी गई है, जो वैश्विक स्तर पर देखी गई गति से लगभग दोगुनी है।

बता दें कि स्वास्थ्य मंत्री स्टॉप टीबी पार्टनरशिप की 37वीं बैठक को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत में टीबी के छूटे हुए मामलों की संख्या को अनुमानित संख्या के बीच अंतर के रूप में परिभाषित किया गया है और उन्हें अधिसूचित किया गया। दरअसल, स्टॉप टीबी पार्टनरशिप की मेजबानी संयुक्त राष्ट्र कार्यालय परियोजना सेवाओं (यूएनओपीएस) द्वारा की जाती है। यह टीबी के खिलाफ लड़ाई को बदलने वाली एक सामूहिक शक्ति है।

भारत में दोगुनी रफ्तार से मामलों में गिरावट दर्ज
मंडाविया ने अपने संबोधन में कहा कि टीबी दशकों से एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या रही है। उन्होंने बताया ‘कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न व्यवधानों से प्रभावित दो चुनौतीपूर्ण वर्षों के बाद, विश्व स्तर पर हमने टीबी के मामलों में 8.7 प्रतिशत की कमी देखी, जबकि भारत में,यह गिरावट दोगुनी दिखाई दी, यानी कि 16 प्रतिशत की कमी प्रदर्शित की।

2025 तक टीबी को समाप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता पर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जी20 की अध्यक्षता के तहत, देश ने वैश्विक महत्व की चयनित चिंताओं की परिश्रमपूर्वक वकालत की। उन्होंने सरकार की अन्य पहलों और उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला, जैसे टीबी निवारक उपचार दवा 3ऌढ के 5 मिलियन से अधिक पाठ्यक्रमों को सुरक्षित करना और 1.6 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में सामुदायिक स्तर पर टीबी सेवाओं का प्रावधान का जिक्र किया ।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER