TIO, नई दिल्ली।

भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों का भरोसा लौटा है। निजी क्षेत्र में निवेश में आ रही तेजी से इसका पता चलता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अनंत नागेश्वरन का कहना है कि यह (भरोसा) वापस आ गया है। अगर ऐसा नहीं होता तो भारतीय अर्थव्यवस्था कैसे 7 फीसदी की दर से वृद्धि हासिल करती। आप अगर विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्रों में खरीद प्रबंधक सूचकांक (परचेजिंग मैनेजर सूचकांक) को देखें, विस्तार और गिरावट को देखें, शेयर बाजार के प्रदर्शन को देखें…तो यह पता चलता है। यह भरोसा जीडीपी के आंकड़ों में भी दिख रहा है। एजेंसी

बहीखातों में जोखिम लेने की गुंजाइश
नागेश्वरन ने कहा, यह मानते हुए कि 2024-25 में भारत की वास्तविक जीडीपी 7 फीसदी दर से बढ़ेगी, कॉरपोरेट व बैंक दोनों के बहीखातों में अधिक जोखिम लेने की गुंजाइश है। उन्होंने कहा, कंपनियों ने कोविड-19 अवधि से पहले और उसके दौरान अपने कर्ज को कम किया है ताकि उनके पास विस्तार के लिए ऋण लेने की क्षमता हो। सरकारी बैंकों के लिए औसत पूंजी पर्याप्तता अनुपात 15 फीसदी है। बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत हुई है। दिसंबर तिमाही में बैंक आॅफ महाराष्ट्र का पूंजी पर्याप्तता अनुपात 16.85 फीसदी रहा, जो सर्वाधिक है। इसके बाद इंडियन ओवरसीज बैंक (16.80 फीसदी) और पंजाब एंड सिंध बैंक (16.13 फीसदी) हैं।

पूंजीगत खर्च और नई घोषणा में उछाल
सीईए ने आरबीआई के आंकड़ों के हवाले से कहा, निजी क्षेत्र में सूचीबद्ध कंपनियां अपने पूंजीगत खर्च और नई परियोजनाओं की घोषणा में तेजी ला रही हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के अंतरिम बजट में कहा, अब निजी निवेश बड़े पैमाने पर हो रहा है। इससे केंद्र सरकार की कम उधारी से निजी क्षेत्र के लिए कर्ज की उपलब्धता अधिक होगी। अर्थव्यवस्था में वृद्धि के साथ हाल के दिनों में इस्पात, सीमेंट और पेट्रोलियम जैसे कुछ क्षेत्रों में निजी निवेश में तेजी आई है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER