नई दिल्ली। मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी को लेकर भारत और मालदीव के बीच दूसरे कोर ग्रुप की बैठक आज दिल्ली में होगी। कोर ग्रुप की पहली बैठक मालदीव की राजधानी माले में 14 जनवरी को हुई थी। माले में हुई बैठक में भारत और मालदीव के बीच भारतीय सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया में तेजी लाने पर सहमति बनी थी। मालदीव के विदेश मामलों के मंत्रालय में हुई पहली कोर ग्रुप की बैठक में दोनों देशों के द्विपक्षीय सहयोग की भी समीक्षा की गई।

मालदीव में भारत के एविएशन प्लेटफॉर्म को चालू रखने पर हो सकती है बात
कोर ग्रुप की पहली बैठक में आपसी हित के मुद्दों, विकास संबंधी सहयोग पर विस्तार से बातचीत हुई थी। दोनों पक्ष मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को तेज करने पर भी सहमत हुए थे। साथ ही सुविधाजनक समय पर दोनों पक्ष उच्च स्तरीय कोर ग्रुप की बैठक करने पर भी सहमत हुए थे। भारत और मालदीव इस मुद्दे पर भी चर्चा कर रहे हैं कि अगर सैनिकों की वापसी होती है तो भी भारत के मालदीव में मौजूद एविएशन प्लेटफॉर्म को चालू रखा जाए ताकि मालदीव के लोगों को मानवीय और मेडिकल मदद मिलती रहे।

मुइज्जू ने किया था भारतीय सैनिकों की वापसी का एलान
भारत के सहयोग से मालदीव में चल रहे विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर भी बात हुई। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने सत्ता संभालते ही मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी का एलान कर दिया था। मुइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है। यही वजह है कि राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू ने पहली विदेश यात्रा चीन की ही की थी, जबकि आमतौर पर मालदीव के राष्ट्रपति पहले भारत का दौरा करते रहे हैं। मुइज्जू की पार्टी मालदीव में भारत विरोधी कैंपेन भी चलाती है।

मालदीव में चीन बढ़ाना चाहता है अपना दबदबा
अभी मालदीव में भारत के करीब 70 सैनिक मौजूद हैं। इनके अलावा एक डोर्नियर 228 मेरीटाइम पेट्रोल विमान और दो एचएएल ध्रुव हेलीकॉप्टर भी मालदीव में मौजूद हैं। मालदीव हिंद महासागर अपनी भौगोलिक स्थिति की वजह से काफी रणनीतिक अहमियत रखता है। यही वजह है कि मालदीव से अगर भारतीय सैनिकों की वापसी होती है और वहां चीन अपना दबदबा बनाता है तो यह भारत के लिए बड़ा झटका होगा।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER