TIO, जबलपुर।

साल 1884 में हुए भोपाल गैस त्रासदी का मंजर आज भी लोग याद करते हैं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इस त्रासदी में जिन लोगों ने अपने परिजनों को खोया था आज भी उन्हें इसे सोचकर डर लगता है। इस हादसे के 39 साल बीत जाने के बाद भी आज तक मामला कोर्ट में चल रहा है। वहीं मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में केंद्र शासन की ओर से जवाब पेश किया गया। जिसमें अवगत कराया गया कि भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों का पूरा इलाज एम्स में नि शुल्क होगा। भले ही मरीज आयुष्मान कार्ड धारक हो या नहीं, उसे अस्पताल में तुरंत इलाज शुरू कर दिया जाएगा। इस संबंध में केंद्र ने एक एमओयू भी किया है।

हाई कोर्ट ने राज्य शासन को निर्देश दिए कि मरीज के इलाज शुरू और पूरा करने में किसी भी तरह का विलंब नहीं चाहिए। कोर्ट ने राज्य को कहा कि उन सभी एजेंसीज को आदेश से अवगत कराएं जो एमओयू से संबंधित स्वीकृति प्रदान करने की प्रक्रिया में शामिल हैं। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र वरष्ठि अधिवक्ता नमन नागरथ ने कहा था कि एमओयू के तहत जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है, उससे इलाज शुरू करने में देरी हो रही है। कोर्ट ने इस मामले में एम्स को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश भी दिए।

पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार से पूछा था कि भोपाल गैस त्रासदी पीड़ित कैंसर मरीजों के लिए निजी अस्पताल और एम्स में इलाज व भुगतान के लिए क्या व्यवस्था है। इस मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER