TIO, भोपाल।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद और अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मप्र पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने ईवीएम को लेकर सवाल उठाए। इतना ही नहीं दिग्गी ने गुजरात से आए अतुल पटेल के साथ ईवीएम को हैक कर दिखाया। इस दौरान उन्होंने ने यह भी दावा कर दिया कि ईवीएम हैकिंग से 30 से 40 प्रतिशत वोटों में हेरफेर हो सकता है। दिग्गी के इस आरोप पर तमाम भाजपा नेताओं ने उन पर हमला बोल दिया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि गांधी परिवार को बचाने कांग्रेस बहाने ढूंढती है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपनी हार मान ली है। इस आरोप पर सवाल तो यह खड़ा होता है कि कई राज्यों में कांग्रेस जीती वहां ईवीएम हैक नहीं हुई ?
वीडी यहीं नहीं रुके। उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेसऔर उसके नेता अपने नेतृत्व की नाकामी छुपाने के लिए हर बार चुनावी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ते रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की राष्ट्रोन्मुखी नीतियों के प्रति देश में जो लहर दिखाई दे रही है, उससे यह स्पष्ट हो गया है कि लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की करारी हार होने वाली है। इसलिए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इस हार के लिए बहानों की तलाश अभी से शुरू कर दी है, क्योंकि वे अपने नकारा नेतृत्व और गांधी परिवार को हार के कलंक से बचाना चाहते हैं। सच्चाई यह है कि पीएम और भाजपा की रीति-नीति के साथ पूरा देश खड़ा है तथा राष्ट्रविरोधी, धर्मविरोधी, महिला विरोधी और गरीब विरोधी कांग्रेस को जनता ने लोकसभा चुनाव में सबक सिखाने का मन बना लिया है।
चुनाव आयोग के सामने क्यों नहीं किया हैकिंग का प्रदर्शन?
प्रदेश अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि कांग्रेस और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं की हमेशा यह कोशिश रही है कि ईवीएम के नाम पर मतदाताओं को गुमराह किया जाता रहे, भड़काया जाता रहे और हमेशा अपनी राजनीतिक असफलता का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा जाता रहे। उन्होंने कहा कि आज जो दिग्विजय सिंह यह रोना रो रहे हैं कि चुनाव आयोग ईवीएम को लेकर उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है, उन्हें मिलने का समय नहीं दिया जा रहा है, वो उस समय कहां थे, जब चुनाव आयोग ने उन्हें ईवीएम हैक करके दिखाने की चुनौती दी थी? तब उन्होंने क्यों नहीं आयोग के दफ्तर में ईवीएम को हैक करके दिखाया?
तो फूट जाएगा झूठ का भांडा
दिग्विजय सिंह यह अच्छे से जानते थे कि अगर वो चुनाव आयोग के इस चैलेंज को स्वीकार करते हैं, तो उनके झूठ का भांडा फूट जाएगा और फिर कभी वो जनता को गुमराह करने के लिए ईवीएम की आड़ नहीं ले सकेंगे। श्री शर्मा ने कहा कि दिग्विजय सिंह आखिर यह बात क्यों भूल जाते हैं कि ईवीएम कांग्रेस की ही देन है तथा कांग्रेस सरकार के समय ही 2003 के चुनाव में लाई गई थी, तब सोनिया सेना ने 2004 के चुनाव ईवीएम के द्वारा ही कराए थे, जिसमें यूपीए गठबंधन ने जीत दर्ज की थी। तब दिग्विजय सिंह को ईवीएम में खोट क्यों नजर नहीं आई? 2009 में कैसे यूपीए गठबंधन द्वारा ईवीएम हैक कर ली गई थी, इसका जिक्र दिग्विजय सिंह क्यों नहीं करते?
संवैधानिक संस्थाओं का अपमान करती है कांग्रेस
शर्मा ने कहा कि देश के संविधान और संवैधानिक संस्थाओं के प्रति कांग्रेस की कोई आस्था नहीं है। उनके नेता खुलेआम सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों और देश की संसद में पास किए गए प्रस्तावों का मखौल उड़ाते रहे हैं। चुनाव आयोग हो, सीबीआई हो, ईडी हो या अन्य कोई संवैधानिक संस्था, सभी पर संदेह जताना और सभी का अपमान करना कांग्रेस के नेताओं की आदत रही है। शर्मा ने कहा कि दिग्विजय सिंह जिस 2014 लोकसभा चुनाव में भी ईवीएम हैक करने का आरोप लगा रहे हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि उस समय देश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली डॉ. मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ही थी। क्या तब भी चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी के दबाव में काम कर रहा था?
सच को स्वीकार करना सीखें दिग्विजय सिंह
शर्मा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और उनके नेता अपने भ्रष्टाचार, तुष्टिकरण और परिवारवाद के एजेंडे के चलते देश की जनता से पूरी तरह कट चुके हैं। देश को आगे बढ़ाने, सशक्त बनाने के लिए न तो उनके पास कोई कार्यक्रम है और न नीतियां हैं। यही वजह है कि देश की जनता लगातार उन्हें नकार रही हैं। दूसरी ओर अगर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, श्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी आत्म विश्वास से भरे हुए हैं, तो उसकी वजह यह है कि भाजपा ने अपनी नीतियों से, अपने कामों से जनता के हृदय को छू लिया है, जनता का विश्वास जीत लिया है। इसीलिए जनता भी भारतीय जनता पार्टी को लगातार अपना आशीर्वाद दे रही है। हालांकि कांग्रेस नेताओं को यह अजीब लग सकता है, क्योंकि उनके हिसाब से तो चुनाव धनबल, बाहुबल और गड़बड़ियों के सहारे ही जीते गए हैं।