अरविंद तिवारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ 21 जनवरी को मुलाकात करेंगे यह खबर तेजी से चली नहीं बल्कि दौड़ पड़ी। तरह-तरह की बात चल पड़ी। किसी ने कहा कमलनाथ भाजपा में जा रहे हैं, मोदी के सामने जॉइनिंग होगी। कोई बोला दो बड़े प्रोजेक्ट से जुड़ा मामला है। बाद में खुलासा हुआ कि जिस तारीख को मुलाकात तय बताई जा रही है, उसे दिन तो कमलनाथ देश में ही नहीं है। वैसे इस अटकल के बीच ताजा खबर यह है कि कमलनाथ राहुल गांधी और उनके इर्द-गिर्द सक्रिय नेताओं से बेहद नाराज है और अपने सांसद बेटे नकुलनाथ के भविष्य को लेकर चिंतित भी हैं। समझ जाइए इशारा ही काफी है।

शिवराज ही हैं होर्डिंग से फोटो गायब करने के जनक

मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद जब होर्डिंग्स में से खुद का फोटो गायब होने लगे तो शिवराज सिंह चौहान बिलबिला गए। गधे के सिर से सींग गायब होने वाली बात कहते हुए उन्होंने जिस अंदाज में अपनी पीड़ा का इजहार किया, उससे उन्हें सहानुभूति मिलना तो दूर बल्कि उनकी ही टांग खिंचाई शुरू हो गई। सालों तक शिवराज के साथ मंत्री रहे एक नेता का तो कहना है कि होर्डिंग्स से अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों और भाजपा के बड़े नेताओं के फोटो गायब करवाने की शुरुआत तीन-चार साल पहले शिवराज के दौर से ही हुई थी। कहा जाए तो इसके जनक ही शिवराज हैं।

पिता की उपेक्षा और कार्तिकेय की पीड़ा

शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय का यह कहना बहुत मायने रखता है कि अपने पिता के लिए वोट मांगने तो मैं आपके बीच आया था। अब जिम्मेदारी मेरी है कि आपके काम हो, इसके लिए मुझे अपनी ही सरकार से भी लडऩा पड़ा तो भी पीछे नहीं हटूंगा। कार्तिकेय का यह अंदाज खूब चर्चा में है और यह माना जा रहा है कि जिस तरह से उनके पिता की पार्टी में उपेक्षा हो रही है, यह उसी का नतीजा है। इसी उपेक्षा के कारण शिवराज भी बड़े व्यथित हैं और बड़ा दुख यह है कि कोई उनकी सुनने को तैयार नहीं।

एक लाईन का प्रस्ताव यानि आपकी अक्षमता

रणदीप सुरजेवाला की जगह भंवर जितेंद्र सिंह मध्यप्रदेश के प्रभारी हो गए हैं। प्रदेश में उनकी सक्रियता भी बढ़ गई है। पिछले दिनों जब वे भोपाल में चुनाव समिति के सदस्यों से रूबरू हुए तो बहुत बेबाकी से अपनी बात कही। वे बोले आप लोग यहां किसी एक नाम पर सहमत होते नहीं हैं, एक-एक क्षेत्र के लिए चार-पांच नाम का पैनल बना लेते हैं और अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए एक लाईन का प्रस्ताव पारित कर निर्णय दिल्ली पर छोड़ देते हैं। दिल्ली जो नाम तय करता है, यदि परिणाम उसके पक्ष में नहीं रहे तो फिर कहते हैं कि फैसला तो ऊपर वालों ने किया था। ये एक लाईन का प्रस्ताव ही आपकी अक्षमता है। इस बार इससे बचें।

संवाद और संपर्क के मास्टर ‘पीके’ नई भूमिका में

संबंध बनाने और उन्हें निभाने में पीके यानी प्रवीण कक्कड़ का कोई सानी नहीं है। संवाद और संपर्क की इसी स्टाइल ने कभी पुलिस अधिकारी रह चुके पीके को कहां से कहां पहुंचा दिया है। कांतिलाल भूरिया के ओएसडी के रूप में दिल्ली में उनकी दखल शुरू हुई तो उनके प्रोफेशनल एक्सीलेंस को देखते हुए कमलनाथ भी उन्हें अपने साथ ले आए। मध्य प्रदेश में भले ही कांग्रेस की सरकार नहीं बनी हो लेकिन संघ और भाजपा का एक बड़ा वर्ग भी पीके का फैन है। ‌ पीके अब नई भूमिका में दिखेंगे जिसका सीधा संबंध भी संवाद और संपर्क से रहेगा। सोशल मीडिया पर उनके नए वेंचर पीके का फंडा भी इसी दिशा में एक कदम है।

आदर्श कटियार का जाना और जयदीप प्रसाद का आना

एडीजी इंटेलीजेंस के पद पर तीन साल की सफल पारी के बाद अब आदर्श कटियार नई भूमिका में हैं। उन्हें पुलिस दूरसंचार की कमान सौंपी गई है। सरकार बनने के बाद कटिहार खुद मुख्यमंत्री से मिले थे और वर्तमान भूमिका से मुक्त होने की बात कही थी। इंटेलीजेंस के नए एडीजी जयदीप प्रसाद भी मध्यप्रदेश कॉडर के अफसरों में अपना एक अलग रुतबा रखते हैं। दिल्ली और भोपाल में कई महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ रह चुके हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव भी उन पर बहुत भरोसा करते हैं। प्रसाद का नाम इंदौर के पुलिस आयुक्त के लिए भी चर्चा में था, पर उन्होंने पुलिस मुख्यालय में ही रहना पसंद किया। इसी का पुरस्कार उन्हें इंटेलीजेंस जैसी शाखा के रूप में मिला।

कौन होगा इंदौर नया पुलिस कमिश्नर

प्रदेश में चल रही प्रशासनिक उठापटक के बीच बड़ा सवाल यह है कि इंदौर का नया पुलिस कमिश्नर कौन होगा। साफ सुथरी छवि वाले वर्तमान कमिश्नर मकरंद देउस्कर जल्दी ही प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले हैं। उन्होंने महकमें के आला अफसरों के साथ ही ‘सरकार’ के सामने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि अब वे यहां और नहीं रहना चाहते। नए पुलिस कमिश्नर के लिए पहले तो नाम संतोष कुमार सिंह का चला, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय के वीटो के बाद राकेश गुप्ता और महेन्द्रसिंह सिकरवार भी दौड़ में आ गए।

चलते-चलते

कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मैंदोला तो पहले से ही नाराज थे, अब महेन्द्र हार्डिया, मधु वर्मा और गोलू शुक्ला भी भोपाल जाकर वीडी शर्मा और हितानंद से कह आए हैं कि नगर अध्यक्ष के रूप में उन्हें गौरव रणदिवे अब और बर्दाश्त नहीं होंगे। तीनों ने जो बात सामने रखी, उसके बाद प्रदेश नेतृत्व भी बहुत कुछ सोचने को मजबूर हो गया है। इधर राजेश सोनकर के विधायक बनने के बाद जिला भाजपा को भी जल्दी ही नया अध्यक्ष मिलने वाला है।

पुछल्ला

कैलाश विजयवर्गीय जब भी इंदौर में मजबूत होते हैं, विरोधी इस षडय़ंत्र में लग जाते हैं कि कैसे भी हो मुख्यमंत्री और उनके बीच टकराहट हो जाए। इसकी शुरुआत हो चुकी है और दावा यह किया जा रहा है कि ज्यादा नहीं तीन महीने बाद दोनों अलग-अलग राह पर दिखेंगे।

बात मीडिया की

नई दुनिया इंदौर में पांचवी मंजिल और चौथी मंजिल के बीच संबंध कितने कड़वे हैं इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस बार 5 जनवरी को स्टेट एडिटर सद्गुरु शरण अवस्थी के जन्मदिन पर पांचवी मंजिल से आने वाला परंपरागत केक तक नहीं आया। स्टेट एडिटर के प्रोजेक्ट राम उत्सव में भी पांचवी मंजिल के दिग्गज चेहरा दिखाने की रस्म में रहे।

पत्रिका इंदौर के दो वरिष्ठ रिपोर्टर अपने लिए नई भूमिका की तलाश में है। यह दोनों अलग-अलग संस्थाओं के संपर्क में है।

दबंग दुनिया में संपादक के रूप में सेवाएं दे रहे सीनियर कैमरा पर्सन मनोहर राजपूत को संस्थान ने गुडबाय कह दिया है। चर्चा यह है कि अखबार प्रबंधन से जुड़े एक मामले के निराकरण में उनकी भूमिका के बाद प्रबंधन ने यह फैसला लिया। वे अब एसीएन टीवी में सेवाएं दे रहे हैं।

पत्रिका अखबार के महू ब्यूरो में सेवाएं दे रहे वरिष्ठ संवाददाता संजय रजक अब टीम नईदुनिया का हिस्सा हो गए हैं। वे पहले न्यूज टुडे में भी सेवाएं दे चुके हैं।

सीनियर कैमरा पर्सन सतीश गौड अब टीम डिजिआना का हिस्सा हो गए है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER