अरविंद तिवारी

जो लोग यह मानकर चल रहे हैं कि मुख्यमंत्री मोहन यादव रिमोट कंट्रोल पर संचालित हो रहे हैं, उनकी गलतफहमी जल्दी ही दूर हो जाएगी। अभी मुख्यमंत्री दिल्ली से तालमेल जमाने में लगे हैं। प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का उनपर वरदहस्त है। भूपेन्द्र यादव, मुख्यमंत्री के मार्गदर्शक की भूमिका में हैं और संघ के दिग्गज दत्तात्रय होसबोले पूरी ताकत से इस बात में लगे हैं कि मुख्यमंत्री को किसी तरह की परेशानी न आए। राज्य में जो बड़े नेता परेशानी खड़ी करने में सिद्धहस्त माने जाते हैं, वे काफी हद तक अब यादव पर आश्रित हो चुके हैं और उनके गीत गाने लगे हैं। बस थोड़ा इंतजार कीजिए और फिर मुख्यमंत्री के तेवर देखिए।

विजयवर्गीय का अंदाज और पटेल समर्थकों का दिल पर ले लेना

करीब 8 साल बाद फिर मध्यप्रदेश में मंत्री बने कैलाश विजयवर्गीय इन दिनों एक अलग ही अंदाज में हैं। वे सार्वजनिक मंचों पर और पार्टी के कार्यक्रमों में नौकरशाही के खिलाफ तो मुखर हैं ही, पर कई बार अपनी ही पार्टी लोगों पर भी मजाकिया अंदाज में तंज कस ही देते हैं। पिछले दिनों पार्टी के एक कार्यक्रम में उन्होंने जिस अंदाज में मंत्री तुलसी सिलावट पर सैम पित्रोदा का नाम लेते हुए कटाक्ष किया और विधायक मनोज पटेल पर चुटकी ली, उससे एक अलग ही चर्चा शुरू हो गई। विनम्र सिलावट तो बात को वहीं दबा गए, लेकिन तेजतर्रार मनोज पटेल के समर्थकों ने अपने नेता पर हुई टिप्पणी को दिल पर ले लिया और गौतमपुरा में विजयवर्गीय का पुतला ही जला डाला। हालांकि समर्थकों के इस उत्साह से मनोज की परेशानी बढ़ना ही है।

समर्थकों का अति उत्साह और नेताजी की परेशानी

समर्थकों का अति उत्साह कभी-कभी उनके राजनीतिक आका के लिए परेशानी ख्रड़ी कर देता है। देपालपुर के भाजपा नेता चिंटू वर्मा, कैलाश विजयवर्गीय के कट्टर समर्थक हैं। विजयवर्गीय के मंत्री बनने के बाद उन्होंने पूरे शहर में जो होर्डिंग्स लगाए उनमें यह संदेश दिया कि उनके नेता का कद मुख्यमंत्री से बड़ा है। इन होर्डिंग्स में जो फोटो लगाया गया था, उससे भी यही संदेश देने की कोशिश की गई थी। लगने के कुछ ही घंटों में यह होर्डिंग्स चर्चा में आ गए। जैसे ही इन होर्डिंग्स की जानकारी इधर-उधर घूमते हुए विजयवर्गीय तक पहुंची और उन्होंने जो भी कहा उसी का नतीजा था कि कुछ ही घंटों में होर्डिंग्स उतर भी गए। वैसे यह बात भोपाल तक भी पहुंची है।

निशाने पर हैं शिवराज और इकबाल के नजदीक रहे अफसर

पुराने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और मुख्य सचिव पद से विदा हो चुके इकबालसिंह बैंस से जुड़े अफसरों को चुन-चुनकर निशाने पर लिया जाने लगा है। मनीष रस्तोगी आधी रात को प्रमुख सचिव पद से हटा दिए गए। मनीष सिंह को दोनों महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों से मुक्त कर वल्लभ भवन में बैठा दिया गया। नीरज वशिष्ठ को भी वल्लभ भवन में आमद देना पड़ी। इसी कड़ी में अगला नाम उमाकांत उमराव का जुड़ गया। उन्हें दो महत्वपूर्ण महकमों के प्रमुख सचिव पद से मुक्त कर राजस्व मंडल का रास्ता दिखा दिया गया। कुमार पुरुषोत्तम के उज्जैन से तबादले का कारण भी कुछ ऐसा ही है। ‌देखते हैं इस कड़ी में अगला निशाना कौन हैं। खैर यह तो वक्त-वक्त की बात है।

कई मायने हैं जनसंपर्क में संदीप यादव के आने के

जनसंपर्क आयुक्त के पद पर सख्त और सौम्य आईएएस अफसर संदीप यादव की नियुक्ति के कई मायने हैं। जिन लोगों के नाम इस पद के लिए चर्चा में थे उनसे हटकर यादव को मौका दिया गया है। यह विभाग मुख्यमंत्री ने अपने पास रखा है। यादव की केमेस्ट्री मुख्यमंत्री मोहन यादव से बहुत मेल खाती है। पर्यटन विकास निगम में भी दोनों साथ काम कर चुके हैं और तब भी खूब पटी थी। दोनों की जुगलबंदी का असर यहां भी जल्दी ही देखने को मिलेगा।

गोलू शुक्ला को नहीं मिल पाया संजय का बंगला

विधायक बनने के बाद गोलू शुक्ला को पूरा भरोसा था कि भोपाल में प्रोफेसर कॉलोनी स्थित जो बंगला विधानसभा के कोटे से संजय शुक्ला को मिला हुआ था, वहीं उन्हें मिल जाएगा। इस बंगले के एक बड़े हिस्सा का उपयोग प्रवीण कक्कड़ करते थे। पर ऐसा नहीं हो पाया। जब तक गोलू अपना आवेदन लेकर नए विधानसभा अध्यक्ष के पास पहुंचते, तब तक नरेंद्र सिंह तोमर ने पुराने अध्यक्ष से यह बंगला भिंड के विधायक नरेंद्रसिंह कुशवाह को अलाट करवा दिया। कुशवाह भी पहले विधायक रहते हुए इसी बंगले में रह चुके थे। खैर, तोमर ने इतना जरूर किया कि इसी बंगले के पास वाला बंगला जो अभी नारायण त्रिपाठी के पास है, गोलू को अलाट कर दिया।

चलते-चलते

जयपालसिंह चावड़ा की अगुवाई में इंदौर विकास प्राधिकरण अच्छा काम कर रहा है, फिर भी जब से नगरीय प्रशासन और आवास विभाग कैलाश विजयवर्गीय के पास आया है, इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के लिए नए नाम चर्चा में आने लगे हैं।

पुछल्ला

हालांकि अभी समय बहुत है, लेकिन चर्चा चल पड़ी है कि इस बार इंदौर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव कौन लड़ेगा। सूची ज्यादा लम्बी नहीं है, फिर भी अरविंद बागड़ी, स्वप्निल कोठारी और अक्षय कांति बम के नाम कांग्रेसी ही आगे बढ़ा रहे हैं। देखना यह है कि इस बार बलि का बकरा कौन बनता है।

बात मीडिया की

दैनिक भास्कर इंदौर के संपादक अमित मंडलोई जल्दी भास्कर में स्टेट एडीटर की भूमिका में नजर आने वाले हैं। उन्हें किस राज्य का प्रभार मिलता है, इसका फैसला भी जल्दी ही हो जाएगा।

नई दुनिया के राज्य संपादक सद्गुरु शरण अवस्थी को सेवा विस्तार मिलने की चर्चा है।

वरिष्ठ पत्रकार अनिल धारवा, जो इन दिनों पत्रिका समूह के सांध्य संस्करण में सेवाएं दे रहे हैं, भी नए साल में नई भूमिका में नजर आ सकते है।

प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अलग-अलग संस्थान छोड़कर पत्रिका में सेवाएं दे रहे कई रिपोर्टर नए साल में नए संस्थानों में नजर आ सकते हैं।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER