सुधीर निगम
TIO
ताबड़तोड़ कार्रवाई, पड़ोसी राज्य से प्रभावित कुछ निर्णय, कुछ नवाचार। नए मुख्यमंत्री मोहन यादव के पहले तीन सप्ताह के काम का आंकलन करने पर ऐसा ही कुछ नजर आता है। शिवराज सिंह चौहान की कार्यशैली की अभ्यस्त हो चुकी नौकरशाही और साथ ही जनता को भी ये कुछ नया दिख रहा है। मोहन की बाँसुरी से उनके लिए नई धुन निकल रही है।
यादव का पहला ही आदेश उनके एजेंडा को साफ कर देता है। आते ही उन्होंने शोर मचाते लाउड स्पीकर और खुले में अंडे-मांस की बिक्री पर लगाम लगाने का फरमान सुनाया। इस आदेश के बाद की प्रतिक्रिया पर ध्यान देने की जरूरत है। विपक्ष इस उम्मीद से बैठा था कि इसका विरोध होगा, लेकिन कहीं से कोई आवाज नहीं आई। पहला ही फैसला, वो कहते हैं न ‘बैंग ऑन’। एक और फैसले का जिक्र करना जरूरी है। जमीन की रजिस्ट्री के साथ नामांतरण। लोग जमीन खरीद लेते हैं, लेकिन नामांतरण के लिए भटकते रहते हैं। इसमें भ्रष्टाचार भी होता है। रजिस्ट्री के साथ नामांतरण से आम जनता को राहत मिलेगी। इसके साथ ही एक फैसला जिससे बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के राजस्व नक्शे को बदलने का मन बना लिया है। संभागों और जिलों की सीमा का निर्धारण नए सिरे से करने की बात कही है। ये एक बहुत जरूरी और व्यावहारिक सोच है। आम जनता को इससे काफी राहत मिल सकती है। ये तो थे वो फैसले जिनसे आम लोगों का सीधा वास्ता है।
इसी दौरान मोहन को अपनी प्रशासनिक क्षमता दिखाने का मौका भी मिल गया। हालाँकि ये मौका एक दुखद घटना ने दिया। गुना बस हादसे के बाद जैसी कार्रवाई हुई, वैसी पिछले कई वर्षों में नहीं देखी गई। दुर्घटना के बाद प्रमुख सचिव, परिवहन आयुक्त, कलेक्टर, एसपी, आरटीओ एक साथ निपटा दिए गए। आप याद कीजिये, पहले ऐसा कब हुआ। इस कार्रवाई से मोहन ने बता दिया कि वो सिर्फ बाँसुरी बजाने नहीं आये हैं, समय आने पर उनका सुदर्शन चक्र भी अपना काम करेगा। इस कार्रवाई के अलावा हाल में जिन आईएएस के तबादले हुए हैं, उसमें भी साफ देखा जा सकता है कि समय-समय पर ये सुदर्शन चक्र चलता रहेगा। ये कॉलम लिखते समय ही शाजापुर कलेक्टर किशोर कन्याल को हटाने की खबर आ गई। एक ड्राइवर से उन्होंने आपत्तिजनक भाषा में बात की थी। मोहन का सुदर्शन चक्र फिर चल गया।
और राजनीतिक रूप से भी मोहन की सक्रियता और सतर्कता देखिए। कैबिनेट बैठक जबलपुर में हो रही है। रानी दुर्गावती के बहाने आदिवासी समाज के वोट बैंक पर नजर। इसके बाद मालवा-निमाड़ क्षेत्र के उज्जैन, ग्वालियर-चम्बल अंचल के ग्वालियर और विंध्य क्षेत्र के रीवा में कैबिनेट बैठक करने की योजना है। लोकसभा चुनाव पर निगाह है, प्रदेश के सभी इलाकों में संदेश देने की कोशिश है कि हमें सबकी चिंता है और पूरा प्रदेश एक बराबर है। और आप यकीन मानिए लोकसभा चुनाव के पहले तक तो मोहन की बाँसुरी से नई-नई धुन निकलती रहेंगी।