TIO, भोपाल।

विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त झेल चुकी कांग्रेस ने अब अपना फोकस लोकसभा चुनाव पर कर दिया है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी लोकसभा चुनाव को लेकर विभाग प्रमुखों और जिलाध्यक्षों के साथ लगातार बैठकें भी कर रहे हैं। इन बैठकों में सबसे ज्यादा मंथन जिताऊ उम्मीदवारों पर हो रहा है। इतना ही नहीं, पार्टी ने ऐसे प्रत्याशियों की तलाश भी शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें तो पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ने की दावेदारी कर रहे नेताओं से बायोडाटा भी मंगवा लिए हैं। इसके अलावा जिला संगठन से भी लोकसभा के लिए प्रत्याशियों के नाम पर सुझाव लिए जा रहे हैं। बताया तो यहां तक जा रहा है कि पार्टी विधानसभा चुनाव हारे नेताओं पर भी दांव लगा सकती है।

बता दें, हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ने कांग्रेस से पहले अपने प्रत्याशियों के नामों का एलान किया था। इतना ही नहीं पार्टी ने कई हारी हुई सीटों पर तो आचार संहिता के पहले ही उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी थी। जबकि भाजपा के मुकाबले कांग्रेस प्रत्याशी चयन में खासी पिछड़ गई थी। जिससे प्रत्याशियों को प्रचार के लिए भरपूर समय नहीं मिल पाया था। ऐसे में पार्टी लोकसभा चुनाव में ये गलती दोहराना नहीं चाहती है। इसलिए पार्टी ने अभी से ही उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यहां पर यह भी बता दें कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के पास सिर्फ एक लोकसभा सीट है जबकि भाजपा के खाते में 28 सीटें हैं।

संगठन की बैठक में उठी थी मांग
प्रत्याशी चयन जल्द हो इस मांग के साथ ही दिग्गजों को मैदान में उतारने की डिमांड भी कांग्रेस में हो रही है। हाल ही हुई संगठन की बैठक में भी ये मांग निकलकर सामने आई थी कि लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करने में अधिक समय न लगाया जाए बल्कि चुनाव से एक महीने पर पहले ही उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया जाए ताकि उसे प्रचार के लिए पूरा समय मिल पाए। इस बैठक में प्रदेश के नव नियुक्त प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, प्रदेश पदाधिकारी, जिला अध्यक्ष और जिला प्रभारी मोजूद थे।

बड़े नेताओं को चुनाव लड़ाने भूरिया भी कर चुके हैं पैरवी
इससे पहले विधानसभा चुनाव हारने के बाद हुई समीक्षा बैठक में भी यह बात पार्टी फोरम पर रखी गई थी। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया खुद इस बात की पैरवी कर चुके हैं कि बड़े नेताओं को लोकसभा लड़ाया जाए। ऐसे में कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव 2023 में हार का मुंह देख चुके कई वरिष्ठ नेताओं को भी एक बार फिर लोकसभा चुनाव में उतारा जा सकता है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER