TIO, भोपाल।

मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की हलचल जोरों पर है। पर अब तक नामों पर सहमति नहीं बन पाई है। दरअसल पार्टी क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों के साथ ही संसदीय क्षेत्रों में भी संतुलन बैठाना चाहती है। वहीं वरिष्ठ नेताओं के चुनाव जीतकर आने के कारण उन्हें एडजस्ट करने का दबाव बन रहा है। जबकि पीढ़ी परिवर्तन के तहत पार्टी ज्यादा से ज्यादा नए चेहरों को मौका देने के मूड में है। नाम तय न होने की स्थिति में मंगलवार को दिल्ली में फिर से बैठक होगी। उसके बाद ही नामों पर अंतिम मुहर लग पाएगी। इस बार पार्टी में किसी नेता का कोटा नहीं चलेगा। 18 से 20 मंत्री बनाए जाएंगे। सिंधिया समर्थक भी कम ही आ पाएंगे। राजभवन में मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारियां हो गई है। मंगलवार दोपहर राज्यपाल भी लौट आएंगे।

पहली बार के एमएलए भी बनेंगे मंत्री
इनमें से भी अधिकांश उन्हीं विधायकों को अवसर दिया जाएगा जो दूसरी तीसरी बार जीतकर आए है। जातीय और क्षेत्रीय संतुलन की दृष्टि से पहली बार के कुछ विधायकों को भी मंत्रिमंडल में स्थान मिल सकता है। इसका फैसला मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्टÑीय अध्यक्ष जेपी नड्डा करेंगे। एक संसदीय क्षेत्र से एक ही को मंत्रिमंडल में स्थान मिल पाएगा।

इन दिग्गजों को पार्टी ने उतारा था चुनाव मैदान में
भाजपा ने जिन केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों और एक राष्टÑीय महासचिव को चुनाव लड़ाया था। वे जीतकर विधानसभा में पहुंच गए है। उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें सिर्फ विधायक बनाने के लिए मैदान में नहीं उतार रही है। ऐसे वक्तव्य भी एक नेताजी ने दिए थे। ये सभी दिग्गज किसी न किसी बड़े नेता को पकड़े हुए है। इनके आका केंद्रीय नेतृत्व पर इन्हें मंत्री बनाने के लिए दबाव बना रहे है, लेकिन पार्टी किसी के दबाव में आकर अपनी नीति बदलेगी इसमें संशय है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER