TIO, सतना।

सतना शहर की कई पॉश कॉलोनियों तक विष कन्याओं का जहर फैल चुका है। इन कॉलोनियों के रहवासी भी इन अनैतिक कार्यों से परेशान हैं लेकिन एक-दूसरे का मुंह ताक रहे हैं। इंटरनेट मोबाइल के साथ आधुनिकता की होड़ में डूबती युवा पीढ़ी के लिए अब सामाजिक वर्जनाएं कोई मायने नहीं रखती। पुष्ट सूत्रों का दावा है कि ऐसी सैकड़ों एमएमएस एवं ब्लू फिल्में वेबसाइटों में अपलोड हो चुकी हैं। साइबर क्राइम मानकर पुलिस भी अभी तक मौन है। एक फरियादी युवक ने तथ्यों के साथ इस काले कारनामों का खुलासा करते हुए पुलिस अधीक्षक से लेकर आईजी तक लिखित शिकायत करते हुए कठोर एक्शन की मांग की है। फरियादी ने मोबाइल लोकेशन एवं वेबसाइट के स्क्रीन शॉट भेजते हुए दावा किया है कि शहर के रईशजादों का गिरोह है जो गरीब सामान्य परिवार की युवतियों को निशाना बनाता है। उन्हें महंगे ड्रेस, मोबाइल सहित वेबसीरीज में एक्टिंग का ख्वाब दिखाकर ऐसे दलदल में ढकेल रहा है जहां से फिर वापसी संभव नहीं है।

गरीब युवतियां हो रही शिकार
फरियादी युवक का कहना है कि उसकी प्रेमिका कॉलेज गोइंग छात्रा है जो खुद इस दलदल में डूब चुकी है। उसने जो तथ्य बताए हैं उसके अनुसार सिंधी कैम्प बांधवगढ़ कॉलोनी में आलीशान वातानुकूलित सुविधायुक्त भवन है जहां कैमरा, मोबाइल के साथ बेवसीरीज के नाम से गरीब मजबूर लड़कियों को लाया जाता है। यहां उनसे एक्टिंग के नाम पर एमएमएस बनाए जाते हैं बदले में युवतियों को प्रति एमएमएस का पांच से दस हजार रुपए तक दिया जाता है। शिकायत में उस मकान की फोटो, वीडियो एवं गूगल लोकेशन ट्रेस कर भी भेजी गई है। शिकायत में उल्लेख है कि उसकी प्रेमिका जो यहां गांव से पढ़ने आई थी वो इस गिरोह के चक्रब्यूह में फंस चुकी है। बहुत ही शातिराना अंदाज में इस काम को अंजाम दिया जाता है तथा जो युवतियां फंस जाती हैं अब उन्हीं के माध्यम से अन्य युवतियों को जाल में फंसाया जाता है।

युवा पीढ़ी का भटकाव
वेबसीरीज के नाम पर जिस तरह समाज में मोबाइल इंटरनेट के जरिए अश्लीलता का जहर समाज में घोला जा रहा है उसके लिए समाज से ज्यादा समाज के रखवाले दोषी हैं। अभी तक इसे रोकने कोई भी पुख्ता कदम नहीं उठाए गए हैं। इन मुद्दों को लेकर अभी तक सिर्फ हवा-हवाई की बातें हो रही हैं। वेबसीरीज का ग्लैमर आज की युवा पीढ़ी को किस तरह निगल रहा है, सामाजिक मर्यादाएं तार-तार हो रही हैं, शायद इसका अंदाजा लगाना भी कठिन है। महानगरों की तर्ज पर एक्टिंग का ख्वाब सजाने वाली पीढ़ी अब नगरों एवं छोटे-छोटे कस्बों तक सक्रिय हो गई हैं। युवा पीढ़ी इसे गलत भी नहीं मान रही है। शायद भविष्य के सपने इसी रास्ते में चलकर सजोने वाली पीढ़ी का यह भटकाव समाज को किस दिशा में ले जाएगा इसको सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। फैशन एवं ग्लैमर की अंधी दौड़ का यह भटकाव नहीं रुका तो आज की पीढ़ी का भविष्य दलदल में समा जाएगा।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER