TIO, पुणे।

बिजली उद्योग में संविदा कर्मियों के महत्वपूर्ण मुद्दे पिछले कई वर्षों से लंबित हैं। इस मामले को लेकर महाराष्ट्र वीज कंत्राटी कामगार संघ लामबंद हो गया है। इतना ही नहीं, ऊर्जा मंत्री का इस ओर ध्यान आकर्षित कराने के लिए सड़क पर भी उतर आया है और श्रमिकों को न्याय दिलाने की मांग की है।

संघ ने आरोप लगाया है कि विभागीय मंत्री और उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने अब तक इस मामले में एक बार भी बैठक नहीं की। जिसको लेकर कार्यकर्ताओं के मन में असंतोष पैदा हो गया है। यहीं नहीं संघ ने देवेन्द्र फडणवीस को ऊर्जा मंत्री पद से मुक्त करने की भी मां ग की है। संघ ने कहा है कि ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी किसी अन्य व्यक्ति को सौंपी जाए जिससे संविदा कर्मियों की समस्याओं का निराकरण हो सके।

इस मार्च का नेतृत्व महाराष्ट्र वीज कंत्राटी कामगार संघ के अध्यक्ष नीलेश खरात, महासचिव सचिन मेंगाळे, कार्यकारी अध्यक्ष अमर लोहार, उपमहामंत्री राहुल बोडके, कोषाध्यक्ष सागर पवार, केंद्रीय मंत्री उमेश अनेराव ने किया है. भारतीय मजदूर संघ हमेशा से पीड़ित और वंचित श्रमिकों को न्याय दिलाने के लिए प्रयासरत रहा है और जब तक श्रमिकों को न्याय नहीं मिल जाता तब तक संघर्ष करता रहेगा। यह बात भारतीय मजदूर संघ विदर्भ प्रदेश के महासचिव मा गजानन गटलेवार ने मार्च का मार्गदर्शन करते हुए कही. संगठन के प्रतिनिधिमंडल ने माननीय मंत्री गिरीश महाजन से उनके निजी सहायक के रूप में मुलाकात की।

संगठन की महत्वपूर्ण मांगें
1) लगभग 42,000 बिजली संविदा कर्मचारी जो राज्य की महावितरण महापारेषण और महानिर्मिति कंपनी में वर्षों से नियमित रूप से विभिन्न स्वीकृत रिक्तियों पर काम कर रहे हैं, उन्हें पूर्ववर्ती महाराष्ट्र राज्य विद्युत बोर्ड के दौरान सरकार द्वारा अनुमोदित दैनिक श्रम प्रणाली (रोंजदारी मस्टर रोल) के माध्यम से ठेकेदारों के बिना रोजगार दिया गया था। इस प्रकार तीनों बिजली कंपनियों में वर्षों से विभिन्न स्वीकृत रिक्त पदों पर नियमित रूप से काम कर रहे बिजली संविदा कर्मियों को रोजगार दिया जाये और उन्हें सेवा में समाहित किया जाये. संगठन की मांग के अनुसार 2015 में तत्कालीन पूर्व ऊर्जा मंत्री श्री चन्द्रशेखर बावनकुले द्वारा स्थापित रानाडे समिति की रिपोर्ट लागू की जाये.

2) महाराष्ट्र में बिजली संविदा कर्मियों को पंजाब, राजस्थान, ओडिशा, हरियाणा जैसे अन्य राज्यों की तरह न्याय मिलना चाहिए, जहां संविदा कर्मियों को संविदा रोजगार दिया गया और सरकारी सेवा में शामिल किया गया।

3)तीनों कंपनियों में नियमित रूप से स्वीकृत विभिन्न रिक्त पदों पर वर्षों से समान कार्य कर रहे कुशल एवं अनुभवी विद्युत संविदा कर्मियों को समान कार्य के लिए समान वेतन लागू किया जाए। श्री भाटिया कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई की जाए। .

4) दोषी ठेकेदारों को काली सूची में नहीं डाला जाना चाहिए

5) माननीय न्यायालय द्वारा संरक्षित सभी श्रमिकों की रोजगार मे रक्षा करें

6) महाराष्ट्र सरकार के ऊर्जा मंत्री द्वारा 17 फरवरी 2019 को हुई बैठक में लिए गए निर्णय को लागू किया जाए।

7)नियंत्रण अधिकारी की अनुमति के बिना संविदा कर्मियों को संविदा से न हटाया जाये।

8) महानीर्ति के अनुबंध श्रम पर लागू सभी अधिभार महावितरण और महापारेषण कंपनी के कर्मचारियों पर लागू होने चाहिए।

9) तीनों कंपनियों के संविदा कर्मियों को वेतन का भुगतान राष्ट्रीयकृत बैंक के खाते में किया जाये.

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER