TIO, भोपाल
मध्यप्रदेश का नया मुखिया कौन, इसे लेकर बीते 9 दिनों से चला आ रहा सस्पेंस सोमवार को खत्म हो गया है। भाजपा हाईकमान ने मप्र की कमान उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव को सौंप दी है। पर्यवेक्षकों ने बीजेपी विधायक दल की बैठक के बाद मोहन यादव के नाम की घोषणा की। बताया जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान ने मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव रखा। जिसका सभी विधायकों ने समर्थन किया। इसके अलावा पीएचई मंत्री राजेन्द्र शुक्ला और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा को पार्टी ने डिप्टी सीएम के पद से नवाजा है। वहीं पूर्व केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर विधानसभा अध्यक्ष होंगे।
गौरतलब मध्यप्रदेश के उज्जैन दक्षिण विधानसभा से लगातार तीसरी बार के विधायक मोहन यादव को मुख्यमंत्री बना कर भाजपा हाईकमान से सभी सियासी पंडितों को चौंका दिया है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि उनके सीएम बनने की संभावना भी किसी को नहीं थी। मोहन यादव ने पहली बार दो जुलाई 2020 को मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री (उच्च शिक्षा) के तौर पर शपथ ली थी।
देवड़ा मल्हारगढ़ और शुक्ल रीवा से हैं विधायक
वहीं दोनों उपमुख्यमंत्रियों राजेन्द्र शुक्ल और जगदीश देवड़ा की बात करें तो जगदीश देवड़ा मंदसौर जिले की मल्हारगढ़ से विधायक हैं। देवड़ा एससी वर्ग से आते हैं। शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार वित्त मंत्री थे, जबकि राजेन्द्र शुक्ला रीवा सीट से विधायक हैं। ब्राह्मण वर्ग से आते हैं। उन्हें चुनाव से करीब डेढ़ महीने जनसंपर्क और पीएचई मंत्री बनाया गया था। वहीं नरेंद्र सिंह तोमर विधानसभा अध्यक्ष होंगे। तोमर मुरैना जिले की दिमनी सीट से विधायक हैं।
जानिए नए सीएम मोहन यादव के बारे में..
उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक हैं मोहन यादव
उम्र – 58 वर्ष, शैक्षणिक योग्यता – बी.एस.सी., एल-एल.बी., एम.ए.(राज.विज्ञान), एम.बी.ए., पी.एच.डी.
राजनीतिक कॅरियर – सन 1982 में माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्र संघ के सह-सचिव, 1984 में अध्यक्ष
2013 में विधायक बने। 2018 में दूसरी बार चुनाव जीतकर उच्च शिक्षा मंत्री बने
छात्र राजनीति से करियर की शुरूआत करने वाले मोहन यादव बीजेपी के स्थापित नेता हैं। पार्टी में कई पदों पर रहने के बाद सरकार में उन्हें पहले मंत्री बनने का मौका मिला और अब वे प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने हैं। मोहन यादव ने वर्ष 1984 मे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्जैन के नगर मंत्री और 1986 मे विभाग प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली. यही नहीं वर्ष 1988 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मध्यप्रदेश के प्रदेश सहमंत्री और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे हैं। 1989-90 में परिषद की प्रदेश इकाई के प्रदेश मंत्री और सन 1991-92 में परिषद के राष्ट्रीय मंत्री रह चुके हैं। 1993-95 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, उज्जैन नगर के सह खंड कार्यवाह, सायं भाग नगर कार्यवाह और 1996 में खण्ड कार्यवाह और नगर कार्यवाह रहे हैं। संघ में सक्रियता की वजह से मोहन यादव 1997 में भाजयुमो प्रदेश समिति में अपनी जगह बनाइ। 1998 में उन्हें पश्चिम रेलवेबोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य भी बने। इसके बाद उन्होंने संगठन में रहकर अलग-अलग पदों पर काम किया। 2004-2010 के बीच वह उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष (राज्यमंत्री दर्जा) रहें। 2011-2013 में मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम, भोपाल के अध्यक्ष (कैबिनेट मंत्री दर्जा) भी बने।
जगदीश देवड़ा का राजनीतिक करियर
जगदीश देवड़ा ने राजनीति की शुरूआत छात्र जीवन से की। 1979 में रामपुरा के शासकीय महाविद्याल में छात्र संघ अध्यक्ष बने। वे भाजपा में कई पदों पर रहे। जगदीश देवड़ा 1990 में पहली बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए। इसके बाद 1993 में दूसरी बार विधानसभा सदस्य बने। 1993 में दूसरी बार विधानसभा सदस्य बने। देवड़ा अनुसूचित जाति जनजातियों पिछड़ा वर्ग विशेष सभा समिति के के सदस्य रहे। 28 जून 2004 को उमा भारती मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री के रूप में शामिल किए गए। 2005 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में भी मंत्री के रूप में शामिल किया गया 2008 में भी शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे।
तोमर के नाम जुड़ी हैं कई उपलब्धियां
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में 12 जून 1957 को जन्मे नरेंद्र सिंह तोमर के नाम कई बड़ी उपलब्धियां है। उनका जन्म मुरैना जिले के ओरेठी गांव में एक राजपूत परिवार में हुआ था। उन्होंने जीवाजी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। स्नातक की शिक्षा ग्रहण करने के दौरान वे महाविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। पढ़ाई के दौरान से ही उनका रुझान राजनीति की ओर था जिसके बाद पढाई पूरी करते ही उन्होंने पूरी तरह अपना ध्यान राजनीति में लगा दिया। उनका उपनाम मुन्ना भैया है, जो बाबूलाल गौर द्वारा दिया गया है।
जानें राजेंद्र शुक्ला के बारे में
राजेंद्र शुक्ला मध्यप्रदेश के रीवा से विधायक हैं और विंध्य के कद्दावर नेता के तौर पर उन्हें जाना जाता है। बता दें कि राजेंद्र शुक्ला चार बार कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। अपने चुनावी कैरियर में वह अब तक अजेय रहे हैं। खास बात है कि वह ऐसे विधायक हैं जिन्हें हर बार चुनाव जीतने पर मंत्री पद मिला है। रीवा विधानसभा क्षेत्र में विधायक राजेंद्र शुक्ला को कद्दावर नेता के तौर पर जाना जाता है। साल 2003 में उन्होंने पहली बार इखढ के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीता था। इसके बाद लगातार वह रीवा से चुनाव जीतते आए हैं। साल 2018 में वह चौथी बार और अब 2023 में पांचवी बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं।