भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एक बार फिर शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है। वहीं भाजपा ने दो तिहाई बहुमत सरकार बनाने जा रही है। बता दें कि भाजपा ने 163 प्रचंड जीत दर्ज की है। वहीं और कांग्रेस ने 66 सीट ही जीत सकी है। हार के बाद मंगलवार को पीसीसी में कांग्रेस ने प्रत्याशियों और विधायकों की बैठक बुलाई। जिसमें हार के कारणों पर मंथन हुआ। बैठक में पीसीसी चीफ कमलनाथ और दिग्विजय सिंह समेत कई दिग्गज नेता मौजूद रहे। हालांकि इस बैठक से एआईसीसी के राष्ट्रीय महासचिव और मप्र चुनाव प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला नदारद रहे। बैठक में सभी जीते-हारे उम्मीदवारों ने अपनी बात को रखा। बताया तो यहां तक जा रहा है कि बैठक के दौरान कांग्रेस प्रत्याशियों का संगठन पर गुस्सा फूट गया है।

बैठक में कमलनाथ ने कहा, ‘मुझे कुछ विधायकों ने बताया कि उन्हें अपने गांव में 50 ही वोट मिले। यह कैसे हो सकता है? जिसको पहले से परिणाम पता था, उसने एग्जिट पोल बनवाया होगा। एग्जिट पोल तो माहौल बनाने के लिए था।’ कांग्रेस नेताओं के ईवीएम हैक होने के दावे पर वे बोले, ‘सभी की बात सुन लूं, फिर किसी फैसले पर आना सही होगा। कमलनाथ ने 15 दिन में सभी से विधानसभावार समीक्षा रिपोर्ट मांगी है। इसके साथ ही लोकसभा की तैयारियों में जुटने के लिए कहा है। कमलनाथ ने कहा कि वे आज दिल्ली जा रहे हैं। तीन दिन बाद लौटकर आएंगे और लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाएंगे। बैठक के बाद प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ दिल्ली के लिए रवाना हो गए। वे दिल्ली में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ मुलाकात कर मध्य प्रदेश में मिली हार की शुरूआती रिपोर्ट पेश करेंगे।

बैठक से गायब रहे चुनाव प्रभारी
मध्य प्रदेश चुनाव के लिए प्रभारी बनाए गए रणदीप सुरजेवाला समीक्षा बैठक से नदारद रहे। जबकि इससे पहले बताया जा रहा था कि वह भी इस बैठक में मौजूद रहेंगे और हारे हुए प्रत्याशियों से उनकी हर का कारण पूछेंगे। लेकिन सुरजेवाला इस बैठक में मोजूद नहीं थे। उनकी अनुपस्थिति चर्चा का विषय बनी रही। वहीं, बैठक में दिग्विजय सिंह खामोश रहे। उन्होंने कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं दी।

भाजपा के मुकाबले काफी कमजोर रहा संगठन
वहीं अंदर खाने से खबर मिली है कि बैठक के अंदर कांग्रेस प्रत्याशियों का संगठन पर गुस्सा फूट गया है। इन्होंने आरोप लगाया है कि भाजपा के संगठन के मुकाबले कांग्रेस का संगठन काफी कमजोर साबित हुआ है। जबकि बीजेपी ने माइक्रो मैनेजमेंट पर काम किया। बीजेपी ने उन पोलिंग को टारगेट किया जहां पर उनको कम वोट मिले, लेकिन कांग्रेस की कोई तैयारी नहीं थी। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बताया जा रहा है कि बीएलओ ने कोई काम नहीं किया। बीजेपी ने पिछली बार की हार पर रिसर्च किया और प्लानिंग कर हमें हराया। नारी सम्मान योजना समेत दूसरी योजना हम नहीं पहुंचा पाए. आदिवासी विधायक और आदिवासी प्रत्याशी ने भी बैठक में सवाल उठाए हैं। आदिवासी सीट जीत कर लेकिन आदिवासियों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।

अलावा के बयान का हुआ विरोध
मनावर से चुनाव जीतकर आए डॉक्टर हीरा अलावा ने समीक्षा बैठक में कहा कि हमें ईवीएम का रोना बंद करना होगा। कांग्रेस को भाजपा के माइक्रो मैनेजमेंट को समझने की जरूरत है। हमें आज मिनी माइक्रो मैनेजमेंट करना पड़ेगा। हमें भाजपा का गणित समझना चाहिए। ईवीएम को लेकर कही गई बात पर हारे हुए कई प्रत्याशियों ने अलावा का विरोध किया। जबकि कुछ ने उनका समर्थन जताया।

टिकट को लेकर भी जताया विरोध
अटेर के हेमंत कटारे ने समीक्षा बैठक में कहा कि सर्वे के आधार पर मेहगांव विधानसभा सीट पर गलत टिकट दिया गया, जिसके कारण हम आसपास की भी सीटें हार गए। वहीं, इछावर के शैलेंद्र पटेल ने कहा कि 130 सीट पर हम 20 हजार से ज्यादा वोटों से हारे हैं। हमें इसका विश्लेषण करना होगा। हम माहौल में आगे थे, लेकिन परिणामों में पीछे रहे गए। भाजपा हमारे 20 परसेंट वोट पर मैनेजमेंट कर लेती है। हमें ये देखना होगा कि आयोग ने किस तरह से अंत में मतदाता सूची में नाम जोड़े जाने की तारीखों को बढ़ाया।

भाजपा से सीख लेने की बात
समीक्षा बैठक में एक प्रत्याशी में कहा कि हमें अब एक दूसरे का हाथ पकड़ कर चलना होगा। एक दूसरे की मदद करनी होगी। एक दूसरे के जिले में काम करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें भाजपा और आरएसएस से सीखने की जरूरत है। वह किस तरह से एक दूसरे की मदद करते हैं। वहीं, एक प्रत्याशी ने सुझाव दिया कि लोकसभा चुनाव में 30 से 40 दिन पहले प्रत्याशी घोषित किए जाएं, ताकि प्रचार का और मैनेजमेंट का भरपूर समय मिल पाए।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER