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मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रचार अभियान का आगाज कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी करेंगी। वे 12 जून को जबलपुर में जनसभा और रोड शो करेंगी। इसके लिए जबलपुर का ही चयन क्यों किया गया? इसकी पांच खास वजह हैं।

पिछले चुनाव में महाकौशल में कांग्रेस को अधिक सीटें मिली थीं। प्रियंका के आने से महाकौशल के अलावा विंध्य और बुंदेलखंड में असर होगा। प्रियंका के अलावा राहुल गांधी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की रैलियां भी होंगी।

कांग्रेस के एक बड़े नेता के मुताबिक मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी होंगी। उन्होंने कुछ महीने पहले हिमाचल प्रदेश में अकेले ही प्रचार का मोर्चा संभाला था। अभी कर्नाटक में भी प्रियंका पार्टी का प्रचार कर रही हैं।

 मजबूत आधार- 38 में से 24 सीटें जीतीं, 3 सिर्फ 7 हजार वोट से भी कम अंतर से हारी

पिछले चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन यहां बेहतर रहा। बीजेपी को 13 सीटें मिलीं। छिंदवाड़ा और डिंडौरी जिले में बीजेपी का खाता तक नहीं खुल पाया था। सिहोरा और केवलारी सीट कांग्रेस 7 हजार से भी कम अंतर से हारी। जबकि बालाघाट की वारासिवनी सीट निर्दलीय प्रदीप जायसवाल ने जीती, जिन्होंने कांग्रेस से बगावत की थी।

सीट हार का अंतर
सिहोरा 6823
केवलारी 6679

2. ‘शिवराज’ की लाड़ली बहना योजना का काउंटर

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव से ठीक पहले लाड़ली बहना योजना को लागू कर बड़ा दांव खेला है। हालांकि कांग्रेस भी ऐसी ही स्कीम लागू करने का वादा कर रही है, लेकिन प्रियंका को मैदान में लाकर महिला वोट बैंक को साधने की कोशिश करेगी। इसके लिए महाकौशल में ही प्रियंका का एक मार्च भी निकालने की तैयारी है।

महाकौशल का फायदा विंध्य में मिलने की संभावना

पिछले चुनाव में कांग्रेस को विंध्य में 30 में से सिर्फ 8 सीटें ही मिली थीं, जबकि 8 सीटें कांग्रेस 5 हजार से भी कम वोट के अंतर से हारी। पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि महाकौशल से चुनाव प्रचार का अभियान शुरू करने का इस सीटों पर सकारात्मक असर होगा।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER