TIO, अमेरिका
मिडिल ईस्ट इस समय बेहद उथल-पुथल भरे दौर से गुजर रहा है। इस अस्थिरता के बीच इजरायल और ईरान की जंग ने तनाव का स्तर बहुत बढ़ा दिया है। आलम ये है कि दोनों देश युद्ध के मुहाने तक पहुंच गए हैं। इस अस्थिरता के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को एक बार फिर आगाह किया है। ट्रंप ने ईरान को चेताते हुए कहा कि अभी भी देर नहीं हुई है। ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम के लिए बातचीत की टेबल पर लौटना होगा। उन्होंने ईरान पर हुए इन हमलों को बेहद सटीक और सफल बताया।
उन्होंने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर इजरायल के हमलों को लेकर कहा कि हमें इसके बारे में पहले से जानकारी थी। मैंने ईरान को शर्म और मौत से बचाने की कोशिश की। मैंने उन्हें भरसक बचाने की कोशिश की। मैंने कोशिश की क्योंकि मुझे ईरान के साथ यह डील करनी है।
ट्रंप ने कहा कि दो महीने पहले मैंने ईरान को डील करने के लिए 60 दिनों का अल्टीमेटम दिया था। उन्हें यह डील कर लेनी चाहिए थी। आज 61वां दिन है। मैंने उन्हें बताया था कि क्या करना है। लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। अब शायद उनके पास सेकंड चांस है। उन्होंने कहा कि हम इजरायल के करीब हैं। हम अभी तक उनके नंबर वन सहयोगी हैं। मैंने ईरान के भले के लिए ही कहा कि इस डील पर बातचीत कर इस पर मुहर लगाना जरूरी है।
ईरान की मिसाइलों को रोकने के लिए ढाल बन रहा अमेरिका
इजरायल और ईरान की जंग में अमेरिका खुलकर नेतन्याहू के साथ खड़ा हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान की ओर से इजरायल पर दागी जा रही मिसाइलों को अमेरिाक रोकने में मदद कर रहा है। अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि इस जंग में अमेरिका खुलकर इजरायल की मदद कर रहा है।
बता दें कि दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है और हमले अभी भी जारी हैं। इजरायल ने स्पष्ट किया है कि जब तक ईरान का परमाणु खतरा खत्म नहीं होता आॅपरेशन राइजिंग लॉयन जारी रहेगा। ईरान ने जवाबी हमलों की चेतावनी दी है और अपनी बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता को और बढ़ाने की योजना बनाई है। इजरायल में रेड अलर्ट जारी है और नागरिकों को बंकरों में रहने के निर्देश दिए गए हैं। मालूम हो कि इजरायल और ईरान के बीच लंबे समय से संबंध सही नहीं है। इजरायल, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है।
क्या है अमेरिका और ईरान परमाणु समझौता?
अमेरिका-ईरान परमाणु समझौता, जिसे जॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान आॅफ एक्शन (जेसीपीओए ) के रूप में जाना जाता है। यह 2015 में ईरान और पी5+1 देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन, और जर्मनी) के बीच हुआ एक ऐतिहासिक समझौता है। इसका मुख्य उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करना और यह सुनिश्चित करना था कि ईरान परमाणु हथियार विकसित न कर सके, बदले में ईरान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को हटाया जाए।
लेकिन 2018 में ट्रंप अपने पहले कार्यकाल के दौरान इस डील से बाहर निकल आए थे। इस डील के तहत की ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को सीमित रखा जा रहा था। इसके बदले में अमेरिका ने ईरान को उसके प्रतिबंधों से ढील दी थी। इस ढील के बाद ईरान ने तेजी से अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम पर काम करना शुरू किया। लेकिन अब ट्रंप नए सिरे से ईरान से समझौता चाहते हैं, जिसके लिए खामेनेई तैयार नहीं हैं।