TIO, न्यूयॉर्क
सैनिक अड्डों और वायु रक्षा प्रणाली पर भारत के हमलों से घबराए पाकिस्तान ने अमेरिका से संघर्ष विराम के लिए गुहार लगाई थी। जब अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने इस संबंध में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की तो उन्होंने कड़ा संदेश?देते हुए कहा कि पाकिस्तान के हर दुस्साहस का जवाब देंगे।
दरअसल पाकिस्तान की ओर से परमाणु हमले का खतरा मानकर अमेरिका पाकिस्तान की इस पेशकश को स्वीकार कर खुद ही शांति बहाली के लिए दोनों देशों के बीच कूद गया। जब वेंस ने दो दिन पहले कहा था कि हम संघर्ष के बीच में नहीं पड़ेंगे। यह दोनों देशों के बीच का मामला है। तो अमेरिका को खतरा बढ़ने के आसार दिखने लगे।?इसी बीच पाकिस्तान ने संघर्षविराम की बात की और अमेरिका तत्काल आगे आया। वेंस और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने दोनों देशों के अफसरों से बात शुरू कर दी थी।?
पाकिस्तान ने भारतीय क्षेत्र में हमले के लिए 400 से 500 ड्रोन भेजे। लेकिन, चिंता की सबसे बड़ी वजह शुक्रवार देर रात पैदा हुई, जब पाकिस्तान के रावलपिंडी में नूर खान एयर बेस पर धमाके हुए। यह इस्लामाबाद से सटा हुआ शहर है। यह एयर बेस पाकिस्तान के लिए काफी अहम है क्योंकि यह उसकी सेना के लिए केंद्रीय परिवहन केंद्रों में से एक है और हवा में ईंधन भरने की क्षमता का घर है। साथ ही, यह पाकिस्तान के रणनीतिक योजना प्रभाग के मुख्यालय से भी कुछ ही दूरी पर है, जो देश के परमाणु शस्त्रागार की देखरेख और सुरक्षा करता है।
परमाणु हमले का संकेत दिया पाकिस्तान ने
पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से लंबे समय से परिचित एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान को सबसे ज्यादा डर अपने परमाणु कमान प्राधिकरण के खत्म हो जाने का है। नूर खान पर मिसाइल हमले को एक चेतावनी के रूप में देखा गया कि भारत ऐसा कर भी सकता है। यह साफ नहीं है कि क्या अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने संघर्ष के तेजी से बढ़ने तथा संभवत: परमाणु हमले की ओर इशारा किया था। हालांकि सार्वजनिक तौर पर परमाणु हमले का एकमात्र स्पष्ट संकेत पाकिस्तान की ओर से आया।
पाकिस्तान की हरकत पर सक्रिय हुआ पेंटागन
अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन में पाकिस्तान की परमाणु धमकी पर चर्चा हुई। साथ ही व्हाइट हाउस यह भी समझ चुका था कि कुछ सार्वजनिक बयान और इस्लामाबाद और दिल्ली के अधिकारियों को कुछ फोनकॉल करना ही पर्याप्त नहीं है क्योंकि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के हस्तक्षेप का पाकिस्तान पर कोई खास असर नहीं हुआ था।
भारत-पाक के बीच एनएसए स्तर की बातचीत नहीं
डीजीएमओ स्तर की बातचीत की चर्चा के बीच विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि पाकिस्तान से एनएसए स्तर की कोई भी बातचीत नहीं की जाएगी। दरअसल सोशल मीडिया पर लगातार इस पर फेक खबरें भी चल रही हैं कि भारत और पाकिस्तान के एनएसए आपस में बातचीत करेंगे। इस पर विदेश मंत्रालय सूत्रों ने बताया है कि एनएसए स्तर पर कोई बात नहीं होगी।
वेंस ने खतरे की बात की, पर पीएम ने कोई वादा नहीं किया
ट्रंप प्रशासन इस बात से भी चिंतित था कि तनाव कम करने के संदेश दोनों पक्षों के शीर्ष अधिकारियों तक नहीं पहुंच रहे थे। इसलिए अमेरिकी अधिकारियों ने फैसला किया कि वेंस को सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करनी चाहिए। उनका संदेश यह था कि अमेरिका ने यह आकलन किया है कि हिंसा में नाटकीय वृद्धि होने की बहुत अधिक संभावना है और संघर्ष पूर्ण रूप से युद्ध में तब्दील हो सकता है। अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार, वेंस ने मोदी पर लगातार हमलों पर विचार करने को कहा। मोदी ने उनकी बात सुनी और स्पष्ट कर दिया कि यदि पाकिस्तान ने दुस्साहस किया, तो भारत हर सूरत में जवाब देगा।
भारत ने नहीं दिया अमेरिका को श्रेय
पाकिस्तान के विपरीत भारत ने संघर्ष विराम में किसी भी तरह की अमेरिकी संलिप्तता को स्वीकार नहीं किया है। पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी जारी रहने से यह भी स्पष्ट नहीं था कि संघर्ष विराम कायम रहेगा या नहीं। वरिष्ठ पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी ने कहा कि दोनों पक्षों को युद्ध के कगार से वापस लाने के लिए अमेरिकी हस्तक्षेप की आवश्यकता थी।
ट्रंप प्रशासन को लगा, हालात नियंत्रण से हो जाएंगे बाहर
वेंस ने एक न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा था कि हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कहीं परमाणु शक्तियां आपस में टकरा न जाएं और कोई बड़ा संघर्ष न हो जाए। हम जो कर सकते हैं, वह यह है कि इन लोगों को तनाव कम करने के लिए प्रोत्साहित करें। वेंस के इस साक्षात्कार के बाद ट्रंप प्रशासन को लगा कि संघर्ष नियंत्रण से बाहर हो जाने का खतरा है। हमलों और जवाबी हमलों की गति बढ़ती जा रही थी। भारत ने शुरू में आतंकी ठिकानों पर अपना ध्यान केंद्रित किया था लेकिन पाकिस्तान की हिमाकत के बाद अब वह उसके सैन्य ठिकानों को निशाना बना रहा था।