TIO, नई दिल्ली
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 19 मई को केरल के सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन और पूजा-अर्चना करेंगीं। देश के इतिहास में वह पहली राष्ट्रपति होंगी जो सबरीमाला मंदिर जाएंगीं। मंदिर प्रबंधन संस्था त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) ने राष्ट्रपति की यात्रा की पुष्टि की। साथ ही इसे देश के इतिहास में गर्व का पल करार दिया। राष्ट्रपति के दौरे को लेकर एसपीजी और मंदिर प्रबंधन ने तैयारी शुरू कर दी है।
बताया जाता है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 18 और 19 मई को केरल की दो दिवसीय यात्रा पर जाएंगीं। 18 मई को वह केरल के कोट्टायम जिले में एक निजी कार्यक्रम में भाग लेंगीं। इसके बाद अगली सुबह 19 मई को सबरीमाला मंदिर के पास बने निलक्कल हेलीपैड पर जाएंगी। यहां से पंपा बेस कैंप जाएंगीं। बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति आम दर्शनार्थियों की तरह पहाड़ी पर चढ़ाई भी कर सकती हैं। हालांकि इसे लेकर एसपीजी सुरक्षा उपायों पर ध्यान दे रही है।
टीडीबी के अध्यक्ष पीएस प्रशांत ने कहा कि यह पहली बार है कि जब किसी राष्ट्रपति का सबरीमाला मंदिर में आगमन हो रहा है। उनके पहाड़ी पर चढ़ने और न चढ़ने का फैसला एसपीजी को करना है। हम निदेर्शों का पालन करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का आधिकारिक कार्यक्रम अभी नहीं आया है। मगर तैयारियां चल रही हैं। हमने सड़कों की मरम्मत और निर्माण कार्य शुरू करा दिया है। आधिकारिक कार्यक्रम आने के बाद सीएम विजयन बैठक बुलाएंगे।
प्रशांत ने बताया कि 18 और 19 मई को मंदिर में भक्तों को दर्शन नहीं मिलेंगे। इसके लिए क्यूआर टिकट सेवाओं को भी बंद कर दिया गया है। वे यहां प्रार्थना करने वाली पहली राष्ट्रपति होंगी। यह गर्व का क्षण है।
कहां है सबरीमाला मंदिर
केरल के पथानामथिट्टा जिले में 3,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सबरीमाला दक्षिण भारत के सबसे प्रतिष्ठित तीर्थ स्थलों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर तक पहुंचने के लिए 41 दिनों की तपस्या करनी पड़ती है। इसके बाद पंपा नदी से नंगे पैर चढ़ाई करनी पड़ती है। तीर्थयात्री अपने साथ इरुमुडी ले जाते हैं – यह एक पवित्र प्रार्थना किट है जो मंदिर के 18 पवित्र चरणों को पार करके गर्भगृह तक पहुंचने के लिए आवश्यक है। इसयसे पहले 1969 में वीवी गिरि ने सबरीमाला मंदिर में दर्शन किए थे। तब वह केरल के राज्यपाल थे।