TIO, श्रीनगर

पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को 26 पर्यटकों की गोली मारकर नृशंस हत्या करने वाले आतंकी जम्मू-कश्मीर में ही मौजूद हैं। सुरक्षा बलों ने पिछले पांच दिनों में अलग-अलग स्थानों पर पहलगाम के हमलावरों को कम से कम 2 बार लोकेट किया है, और दक्षिण कश्मीर के जंगलों में उन्हें घेरने के बहुत करीब पहुंच गए हैं। आतंकियों को जिन दो इलाकों में लोकेट किया गया है, उनमें से एक की पहचान अनंतनाग जिले के अश्मुकाम नगर पालिका स्थित हापतनार गांव के रूप में की गई है।

सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों एक मौके पर सुरक्षाबलों और पहलगाम के हमलावरों के बीच मुठभेड़ की स्थिति भी बनी थी और दोनों ओर से गोलीबारी हुई थी। लेकिन आतंकी मौके से बचकर भागने में कामयाब रहे। स्थानीय निवासियों से प्राप्त जानकारी, खुफिया सूचनाओं और तलाशी अभियानों के माध्यम से आतंकवादियों को लोकेट किया गया है। सूत्रों ने सेना के एक अधिकारी के हवाले से कहा, ‘यह चूहे और बिल्ली के खेल की तरह है। कई बार ऐसा हुआ है कि आतंकियों को स्पष्ट रूप से देखा गया है। लेकिन जब तक उनकी घेराबंदी की जाती, वे भाग गए। जंगल बहुत घने हैं और किसी को लोकेट करने के बाद भी उसका पीछा करना आसान नहीं है। लेकिन हमें यकीन है कि हम उन्हें पकड़ लेंगे, यह सिर्फ कुछ दिनों की बात है।’

इंडियन आर्मी, सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले चार आतंकवादियों को पकड?े के लिए बैसरन घाटी और उसके आसपास के जंगलों में घेराबंदी और तलाशी अभियान चला रहे हैं। आतंकियों में दो स्थानीय और पाकिस्तानी हैं, जिन्होंने 22 अप्रैल को बैसरन मैदान में 26 पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। सूत्रों ने बताया कि आतंकवादियों को पहले अनंतनाग के पहलगाम तहसील के हापतनार गांव के पास जंगलों में देखा गया था, लेकिन वे घने इलाके का फायदा उठाकर भागने में सफल रहे। दूसरी बार आतंकवादियों को कुलगाम के जंगलों में देखा गया जहां से भागने से पहले उनकी सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ हुई। उनके फिलहाल त्राल और कोकेरनाग के पहाड़ों में छिपे होने की आशंका है।

इस बीच, जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ रोधी तंत्र को मजबूत किया गया है तथा सीमा पर सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आतंकवादी सीमा पार करके पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में न भाग सकें। सूत्रों ने बताया कि चारों आतंकवादी खाने-पीने और अन्य जरूरी चीजों की व्यवस्था करने में अत्यंत सावधानी बरत रहे हैं, जिस कारण उनका पता लगाने में थोड़ी मुश्लिक आ रही है। एक अधिकारी ने कहा, ‘आम तौर पर आतंकवादियों को भोजन की व्यवस्था करनी पड़ती है और तभी वे गांवों में पहुंचते हैं। कभी-कभी, वे जंगलों में ही खाने-पीने की चीजें पहुचाने के लिए अपने स्थानीय संपर्कों को बुलाते है। इससे इंटेलिजेंस इनपुट जुटाने में मदद मिलती है और सुरक्षा बलों को उन्हें घेरने का मौका मिलता है। हालांकि, पहलगाम में पर्यटकों पर हमला करने वाले आतंकवादी काफी सावधानी से काम कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘हमें एक घटना के बारे में पता चला है, जहां वे रात के खाने के समय एक गांव में गए, एक घर में घुसे और खाना लेकर भाग गए। जब तक सुरक्षा बलों को सूचना मिली और वे वहां पहुंचे, तब तक काफी समय बीत चुका था और आतंकवादी भाग चुके थे। सूत्रों ने बताया कि एक अन्य चुनौती यह है कि पहलगाम के ऊंचे क्षेत्रों से जुड़ी हुई किश्तवाड़ रेंज में इस मौसम में कम बर्फबारी हुई है। इससे आतंकवादियों को जम्मू की ओर जाने के लिए इस माउंटेन रेंज का उपयोग करने का विकल्प मिल जाता है, जहां जंगल अधिक घने हैं। वे इधर-उधर जाने के लिए किश्तवाड़ माउंटेन रेंज का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक हमारा मानना है कि वे दक्षिण कश्मीर में हैं।’ सुरक्षा बलों को उम्मीद है कि आतंकवादी कोई न कोई गलती करेंगे और उन्हें मार गिराया जाएगा।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER