TIO, नई दिल्ली
संसद के आगामी मानसून सत्र में बीमा संशोधन विधेयक पेश किया जा सकता है। विधेयक में बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने की तैयारी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विधेयक का मसौदा तैयार है और इसे जल्द ही मंजूरी के लिए कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय सेवा विभाग विधेयक को संसद में पेश करने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
संसद के मानसून सत्र में आ सकता है प्रस्ताव
संसद का मानसून सत्र आमतौर पर जुलाई में शुरू होता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट भाषण में कहा कि वित्तीय क्षेत्र सुधारों के तहत बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा। वित्त मंत्री ने कहा था कि, ‘यह बढ़ी हुई सीमा उन कंपनियों के लिए उपलब्ध होगी जो भारत में पूरा प्रीमियम निवेश करती हैं। साथ ही विदेशी निवेश से जुड़ी मौजूदा शर्तों और सुरक्षा की समीक्षा की जाएगी और उन्हें सरल बनाया जाएगा।’
ये किए जा सकते हैं बदलाव
रिपोर्ट्स के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने बीमा अधिनियम, 1938 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है, जिसमें बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ाकर 100 प्रतिशत करना, और समग्र लाइसेंस का प्रावधान शामिल है। प्रस्तावित संशोधन पॉलिसीधारकों के हितों को बढ़ावा देने, उनकी वित्तीय सुरक्षा बढ़ाने और बीमा बाजार में अधिक खिलाड़ियों के प्रवेश को सुविधाजनक बनाने पर केंद्रित है। जिससे आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि बीमा अधिनियम, 1938, भारत में बीमा के लिए विधायी ढांचा प्रदान करने वाला प्रमुख अधिनियम है। यह बीमा व्यवसायों के कामकाज के लिए ढांचा प्रदान करता है और बीमाकर्ता, उसके पॉलिसीधारकों, शेयरधारकों और नियामक इरडाई के बीच संबंधों को नियंत्रित करता है। वर्तमान में, भारत में 25 जीवन बीमा कंपनियाँ और 34 गैर-जीवन या सामान्य बीमा फर्म हैं। बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को पिछली बार 2021 में 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत की गई थी। 2015 में, सरकार ने बीमा क्षेत्र में ऋऊक सीमा को 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दिया था।