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भारतीय वायु सेना के जाबांज और अचूक चिनूक हेलीकॉप्टर को पहली बाद दो महिला पायलट उड़ाती नजर आएंगी। ऐसा पहली बार हुआ है कि वायु सेना ने दो महिला लड़ाकू विमान पायलटों को अपनी सीमावर्ती चिनूक हेलीकॉप्टर इकाइयों को सौंपा है। ये दोनों चिनूक इकाइयां वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारतीय सैनिकों को मदद पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं।

 

वायु सेना के एक अधिकारी ने नाम न लेने की शर्त पर बताया कि स्क्वाड्रन लीडर पारुल भारद्वाज और स्वाति राठौर रूस द्वारा निर्मित Mi-17V5 हेलीकॉप्टर उड़ा रही थीं। अब उनका तबादला चंडीगढ़ और असम के मोहनबाड़ी स्थित CH-47F चिनूक इकाइयों में किया गया है।

2019 में वायु सेना में हुआ था शामिल
अमेरिका द्वारा आयातित चिनूक हेलीकॉप्टर बहु-उद्देश्यीय है। वायु सेना के बेड़े में शामिल होने वाला यह नवीनतम हेलीकॉप्टर है और इसकी कीमत लगभग 650 करोड़ रुपये है। फिलहाल वायु सेना अभी 15 चिनूक का संचालन करती है। 2019-20 में इसे बेड़े में शामिल किया गया था। यह विमान इतना खास है कि सीमावर्ती इलाके में यह लाइट हॉवित्जर तक ट्रांसपोर्ट कर सकता है।

 

बिल्कुल अलग है इसे उड़ाना
वायु सेना के एक अधिकारी ने बताया, एमआई-17 या किसी उन्हें हेलीकॉप्टर को उड़ाने से चिनूक को उड़ाना बिल्कुल अलग है। यह इकलौता टैंडम रोटर वाला विमान है, जिसे भारतीय वायुसेना संचालित कर रही है। यह विमान विभिन्न प्रकार की भूमिकाएं निभा सकता है। इसे अन्य हेलीकॉप्टरों की तहर नियंत्रित भी नहीं किया जा सकता। इसके नियंत्रण अलग होते हैं। इसका उपयोग तोपखाने, युद्ध के मैदान में आपूर्ति और सैनिकों के परिवहन के लिए किया जाता है।

गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने वाली पहली महिला पायलट हैं स्वाति
स्क्वाड्रन लीडर पारुल भारद्वाज ने 2019 में Mi-17V5 की पहली उड़ान कप्तानी की थी। इसके ठीक दो साल बाद स्वाति राठौर कर्तव्य पथ(पहले राजपथ) पर हुई 2021 गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने वाली पहली महिला हेलीकॉप्टर पायलट थीं। भारद्वाज और राठौर को ऐसे समय में चिनूक इकाइयों को सौंपा गया है जब सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए दरवाजे खोले गए हैं।

 

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER