TIO, नई दिल्ली।

उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान भगदड़ मचने से मौत का आंकड़ा 121 पर पहुंच गया है। जबकि 35 लोग घायल हुए हैं। इनमें कुछ की हालत गंभीर है। अब भी 20 लोग लापता हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज हालात का जायजा लेने के लिये हाथरस पहुंचेंगे। देर रात दो वरिष्ठ मंत्रियों और मुख्य सचिव मनोज सिंह के साथ डीजीपी प्रशांत कुमार घटनास्थल पर पहुंचे और हालात के बारे में जानकारी ली। आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। घटना मंगलवार दोपहर करीब डेढ़ बजे की है।

एफआईआर में दावा किया गया है कि नारायण साकार हरि बाबा उर्फ बाबा भोले के सत्संग में करीब ढाई लाख लोग इकट्ठा हुए थे। सत्संग के बाद बाबा के चरण धूल लेने के लिये लोग दौड़े और भगदड़ मच गई। खुद बाबा 18 घंटे से फरार है। उसके बारे में पुलिस से लेकर खुफिया एजेंसियों तक को भनक नहीं लगी है। इस पूरे मामले में पुलिस-प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सीएम योगी ने साफ किया है कि जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। हादसे के समय एसडीएम और सीओ मौके पर मौजूद थे। जानिए हादसे से जुड़े सवालों के जवाब…

आयोजक कौन हैं?
यह कार्यक्रम हाथरस जिले के सिकंदराराऊ इलाके में नेशनल हाइवे किनारे फुलरई गांव (मुगलगढ़ी) में हो रहा था। माह के पहले मंगलवार यानी 2 जुलाई को सत्संग में शामिल होने के लिए भीड़ को आह्वान किया गया। सिकंदराराऊ की मानव मंगल मिलन सद्भावना समिति ने ये कार्यक्रम रखा था। इंजीनियर देवप्रकाश मधुकर को आयोजन प्रभारी बनाया गया था। कमेटी में कुल 78 सदस्यों को रखा गया था। आयोजन के पोस्टर-बैनर भी छपवाए गए और इन पोस्टर को जगह-जगह लगवाया गया। इनमें आयोजनकतार्ओं के नाम, पिता का नाम और मोबाइल नंबर लिखे गए हैं।

किससे और कितनी भीड़ की अनुमति ली गई?
सत्संग से आठ दिन पहले ही आयोजन समिति के प्रभारी देवप्रकाश मधुकर ने स्थानीय एसडीएम से अनुमति ली थी। प्रशासन का दावा है कि कार्यक्रम में करीब 80 हजार की भीड़ आने की अनुमति ली गई थी। आयोजन के पर्याप्त इंतजाम होने की जानकारी दी। सवाल यह है कि फिर सत्संग में ढाई लाख की भीड़ कैसे पहुंच गई। यूपी, राजस्थान और हरियाणा से भीड़ संख्या में लोग एकत्रित हुए थे। यानी अनुमति से तीन गुना ज्यादा भीड़ जुटा ली गई। फुलरई गांव के जिस खुले मैदान में सत्संग आयोजित हो रहा था, वो 150 बीघा का खेत है। वाहनों को खड़ा करने के लिए कुछ ही दूरी पर पार्किंग बनाई गई थी। हालांकि, इंतजाम ठीक नहीं होने से वाहन जगह-जगह खड़े कर दिए गए।

कैसे हादसा हो गया…
सत्संग के बाद जब बाबा का काफिला गुजरा तो भीड़ चरण रज पाने के लिए टूट पड़ी। कोई खेत किनारे दलदल में गिरा तो कोई बारिश से लबालब भरे गहरे गड्ढे में समां गया। प्रत्यक्षदर्शी कहते हैं कि दोपहर बाद सत्संग खत्म हुआ तो भीड़ बाहर निकलने लगी। एक ही रास्ते पर पार्किंग की ओर आगे बढ़ी। मौके पर संभालने के लिए खास इंतजाम नहीं थे। बाबा के वॉलेंटियर्स ही सुरक्षा व्यवस्था में खड़े थे। भगदड़ में जो गिरा, वो उठ नहीं पाया। बच्चे महिलाओं के हाथों से छूटकर गिर गए। एक के बाद एक गिरने वाले लोगों की संख्या बढ़ती चली गई.

मरने वाले कहां के हैं?
मृतकों में ज्यादातर लोग एटा और आगरा के रहने वाले हैं। हादसे के बाद मृतकों को अलीगढ़ और एटा के अस्पताल भेजा गया। कुछ शव आगरा भी भेजे गए। सत्संग स्थल पर लोगों का सामान बिखरा पड़ा है। कपड़े, शादी के कार्ड, आधार कार्ड, टिफिन बॉक्स और बैग, जूते-चप्पल चारों ओर बिखरे हुए हैं। हाथरस डीएम ने पूरे हादसे की रिपोर्ट शासन को भेज दी है। सूत्र बताते हैं कि खुफिया तंत्र एलआईयू ने सत्संग में एक लाख से ज्यादा भीड़ जुटने और अप्रिय घटना की आशंका जताई थी। लेकिन इसके बाद भी गंभीरता से नहीं लिया गया।

एफआईआर में बाबा का नाम क्यों नहीं?
आयोजन करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई। बाबा को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा? हालांकि, एफआईआर में बाबा का नाम नहीं है। लेकिन क्या इससे बाकी जवाबदेहों को क्लीनचिट दी जा सकती है? कहीं पर हजारों-लाखों लोग जुटने वाले हों तो संख्या का अंदाजा लगाने से लेकर जगह, हालात की जानकारी प्रशासन के पास होती है। लेकिन जब हादसा हुआ तो घायलों को आॅटो, टैंपो, टैक्सी, बाइक तक से लाना पड़ा। स्ट्रेचर तक अस्पताल में सबको नहीं मिल पाए। इंतजाम नाकाफी थे। अधिकारियों को अंदाजा ही नहीं था।

क्या जांच हो रही है…
हादसे के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच कमेटी गठित की है और 24 घंटे में जांच रिपोर्ट तलब की है। इस कमेटी में एडीजी आगरा जोन, कमिश्नर अलीगढ़ हैं। दोनों अफसरों ने मौके पर पहुंचकर वीडियो फुटेज जुटाए और लोगों से भी घटना के संबंध में जानकारी ली है। खुद सीएम योगी आज हाथरस पहुंच रहे हैं। लखनऊ से लगातार हाथरस तक सख्त निर्देश दिए जा रहे हैं। मंत्री, मुख्य सचिव से लेकर डीजीपी तक मौके पर पहुंच गए हैं। सरकार का कहना है कि जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा।

कितने सेवादार व्यवस्था में जुटे थे
बाबा का जहां सत्संग होता है, वहां उनके सेवादार ही सारी व्यवस्थाएं संभालते हैं। यातायात से लेकर पंडाल और अन्य व्यवस्थाओं में बाबा के वॉलेंटियर्स मोर्चा संभालते हैं। ये लोग पुलिस के साथ डंडा लेकर खड़े देखे जाते हैं। घटना के वक्त भी बाबा के सेवादार आगे खड़े थे। जब भीड़ बाबा के चरण रज पाने के लिए टूटी तो सेवादार ही हटा रहे थे। इनकी संख्या सैकड़ों में थी। सेवादारों में महिलाएं और पुरुष दोनों होते हैं। सत्संग में करीब 12 हजार सेवादारों की ड्यूटी लगाई गई थी। बाबा ने अपनी सुरक्षा के लिए भी महिला और पुरुष गार्ड रखे हैं। इन सुरक्षाकर्मियों को नारायणी सेना नाम दिया गया है। आश्रम से लेकर प्रवचन स्थल तक ये सेना बाबा की सेवा करती है। सुरक्षा में लगे सेवादार एक तरह का ड्रेस कोड भी पहनते हैं। प्रवचन स्थल तक बाबा के लिए अलग से एक रास्ता भी बनाया गया था। इसी मार्ग पर बाबा का काफिला ही निकलना था। इसके अलावा किसी को जाने की अनुमति नहीं थी।

क्या 40 पुलिसवालों के भरोसे थी व्यवस्था?
सवाल ये है कि आखिर क्या सिर्फ सत्संग वालों के भरोसे ही प्रशासन लाखों लोगों को करके सो गया था? क्या भीड़ बेकाबू हुई या फिर इंतजाम नाकाफी थे? क्या आयोजन वालों की गलती से मौत की चीख मची? क्या प्रशासन की लापरवाही ने सत्संग में मातम मचवा दिया? वो कौन सी चूक थी, जिससे 121 लोगों की मौत हो गई? दावा तो यह भी किया जा रहा है कि सिर्फ 40 पुलिसवालों के भरोसे ही लाखों की भीड़ जुटने दी गई। हालांकि, यह जांच का विषय है और जांच में सच सामने आएगा।

हादसे के बाद क्या हालात हुए?
घटना के बाद हालात भयावह हो गए थे। लोगों को दौड़ते-भागते और जान बचाने के लिए मशक्कत करते देखा जा रहा था। आयोजनस्थल से तीन किमी तक जाम देखने को मिला। रास्ते में अनुयायियों के वाहन जहां-तहां खड़े थे। इससे घायलों को भी सिकंदराराऊ स्थित सरकारी अस्पताल ले जाने में परेशानी और देरी हुई। अस्पताल में भी अव्यवस्था देखने को मिली। ज्यादातर लोगों को बैचेनी हो रही थी। यानी सांस लेने में परेशानी हो रही थी। आरोप है कि अस्पताल में आॅक्सीजन नहीं मिली। अस्पताल के बाहर कुछ लोग अपनों की तलाश करते देखे गए। कैंपस में लाशों का ढेर लग चुका था।

सीएचसी के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि जब घायल और मृतक आने लगे तो अस्पताल में डेढ़ घंटे तक बिजली नहीं थी, जिससे कुछ मरीजों के तत्काल इलाज में देरी हुई। इस अस्पताल में 92 शव लाए गए थे। मृतकों और घायलों को अस्पताल ले जाने वाले पहले एक व्यक्ति ने कहा, जब हम लोग यहां पहुंचे तो सिर्फ एक डॉक्टर उपलब्ध था।

परिजन क्या बोले….
हादसे ने कई परिवारों से उनके सदस्यों को छीन लिया है। परिवार के लोग घटना के लिए बाबा को दोषी ठहरा रहे हैं। नोएडा में काम करने वाले सुनील को जब घटना की खबर लगी तो वे तत्काल मौके पर पहुंचे। सुनील बताते हैं कि उन्होंने इस घटना में अपनी मां को खो दिया है। अगर सत्संग नहीं होता तो यह घटना नहीं घटती। हालांकि, मृतक के परिवार के एक अन्य सदस्य कपूर्री चंद अलग सोचते हैं। वे कहते हैं कि घटना उस तरफ हुई जहां महिलाएं बैठी थीं। मैं भी वहां था। यह जांच का विषय है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह बाबा की गलती है। प्रत्यक्षदर्शी कहते हैं कि जब सत्संग समाप्त हुआ तो लोगों ने जाना शुरू कर दिया था। मुख्य सड़क पर कई वाहन खड़े थे। लोगों ने सोचा कि वे सत्संग स्थल के सामने वाले मैदान से आसानी से बाहर निकल सकते हैं। जमीन फिसलन भरी थी और कीचड़ जमा था, जिससे लोग फिसल कर एक-दूसरे पर गिरने लगे। हालात भदगड़ के बन गए।

बाबा के बारे में जानिए…
नारायण साकार हरि का असली नाम सूरजपाल सिंह है। वे यूपी पुलिस विभाग में पदस्थ रहे हैं। नौकरी में मन नहीं लगा तो आध्यात्म की ओर मुड़ गए। सूरजपाल का एटा जिले के बहादुरनगर गांव में जन्म हुआ। कुछ ही समय में नारायण सरकार हरि के बड़ी संख्या में अनुयायी हो गए। बाबा के सत्संग में विशेषकर महिलाएं गुलाबी कपड़े पहनकर आती हैं और उन्हें भोले बाबा के नाम से पुकारती हैं। भोले बाबा की पत्नी को माताश्री कहा जाता है। सत्संग में दोनों एक साथ बैठते हैं। बाबा सत्संग मंच पर सफेद सूट पहनकर आते हैं। जूते भी सफेद ही पहनते हैं। उनका एक आश्रम बहादुर नगर में भी है और प्रतिदिन हजारों भक्त पहुंचते हैं। बाबा का मैनपुरी के बिछवा में भी आश्रम 30 एकड़ में फैला हुआ है। नारायण साकार हरि क्षेत्र में साप्ताहिक सभाएं आयोजित करते हैं, जिसमें काफी भीड़ उमड़ती है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश में बाबा के बड़ी संख्या में अनुयायी हैं। बाबा और उनके अनुयायी सोशल मीडिया से दूरी बनाकर चलते हैं।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER