TIO, चंडीगढ़।

हरियाणा में 2024 के विधानसभा चुनाव की तारीख करीब है और ऐसे कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जो इस दौरन चुनाव के माहौल पर तो असर डालेंगे ही साथ ही चुनाव परिणाम के लिए भी गेमचेंजर साबित हो सकते हैं। इनमें मौजूदा सरकार के खिलाफ विरोधी भावना, किसानों और पहलवानों के आंदोलन, सरकारी कर्मचारियों का असंतोष और जाट समुदाय की भूमिका प्रमुख हैं। इन मुद्दों के बीच, अटकलें हैं कि पहलवान विनेश फोगाट भी इस चुनाव से राजनीतिक अखाड़े में उतर सकती हैं और इस समय यह बात खास तौर पर सभी का ध्यान अपनी ओर खींच रही है। ऐसा माना जा रहा है कि अगर विनेश राजनीति में उतरती हैं, तो यह कदम ब्रजभूषण शरण सिंह विवाद को फिर से उभार सकता है, जिसे हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में विपक्षी पार्टियों ने जोरशोर से उठाया था।

विनेश फोगाट का राजनीति में प्रवेश
विनेश फोगाट ने हाल ही में शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों, जींद और रोहतक में खाप पंचायत नेताओं से मुलाकात की। 27 अगस्त को जींद में आयोजित एक कार्यक्रम में विनेश ने कहा कि ‘वह राजनीति में प्रवेश को लेकर दबाव में हैं, लेकिन कोई भी निर्णय लेने से पहले वह अपने बुजुर्गों से सलाह लेंगी। उन्होंने कहा, राजनीति में जाने का दबाव है, लेकिन मैं अपने बुजुर्गों से सलाह लूंगी। जब मेरा मन साफ होगा, तब मैं सोचूंगी कि क्या करना है, क्योंकि मैं अभी भी गहरे सदमे में हूं।’

राजनीतिक रूप से सक्रिय रहा है विनेश फोगाट का परिवार
विनेश फोगाट का परिवार राजनीतिक रूप से सक्रिय रहा है। उनकी चचेरी बहन बाबिता फोगाट ने 2019 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर दादरी सीट से चुनाव लड़ा था। हालांकि, विनेश का राजनीति में झुकाव कांग्रेस की ओर रहा है। चचेरी बहनों के बीच राजनीतिक मतभेद भी उभर कर सामने आए हैं। सोशल मीडिया पर बाबिता और उनके पति ने अप्रत्यक्ष रूप से विनेश पर निशाना साधा, जिससे दोनों के बीच की दरारें और स्पष्ट हो गईं।

हरियाणा में दिख सकता है विनेश बनाम बबिता?
दिलचस्प बात यह है कि जहां राज्य के कई पहलवानों ने ओलंपिक के दौरान विनेश फोगाट के लिए प्रचार किया, वहीं दोनों बहनें एक साथ नहीं दिखीं, सिवाय कांग्रेस को निशाना बनाने के मामले में। जब विनेश ने तत्कालीन डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों के विरोध में सक्रिय रूप से भाग लिया, तब बबीता ने आरोप लगाया कि पहलवानों को कांग्रेस नेताओं के इशारे पर संगठित किया गया था। ऐसा माना जाता है कि विनेश कांग्रेस की ओर झुकी हुई थीं। सूत्रों का कहना है कि अगर विनेश चुनाव लड़ने का फैसला करती हैं, तो उन्हें दादरी विधानसभा क्षेत्र से बबीता के खिलाफ खड़ा किया जा सकता है, जहां बबीता ने 2019 में चुनाव लड़ा था।

ब्रजभूषण मुद्दे को पहलवानों -विपक्षी दलों ने रखा है जिंदा
पहलवानों और विपक्षी दलों ने ब्रज भूषण शरण सिंह विवाद को जीवित रखा है। अधिकांश पहलवानों, जिनमें साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया शामिल हैं, ने बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था। बजरंग पुनिया ने तो अपना पद्म श्री भी विरोध के प्रतीक के रूप में वापस कर दिया। इसने लोकसभा चुनावों को भी प्रभावित किया और इसे हरियाणा विधानसभा चुनावों में एक चुनावी मुद्दा बनाया जा रहा है।

जाट और किसान समुदाय की भूमिका
जाट समुदाय और किसानों ने लोकसभा चुनावों में असंतोष व्यक्त किया, जिससे कांग्रेस को फायदा हुआ। कांग्रेस ने ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़त बनाई, और 42 विधानसभा क्षेत्रों में जीत ने संकेत दिया कि ग्रामीण हरियाणा ने कांग्रेस के लिए मतदान किया। असंतोष केवल जाटों तक ही सीमित नहीं था, बल्कि गांवों के सरपंचों और सामान्य किसानों के बीच भी था, जो विशेष रूप से परिवार पहचान पत्र योजना के तहत हो रही डिजिटलीकरण प्रक्रिया से नाखुश थे। हरियाणा में बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर केवल जाटों और किसानों तक ही सीमित नहीं है। पहलवान और सरपंच भी सरकार से नाखुश हैं। 2019 में 10 लोकसभा सीटें होने के बावजूद, केंद्र सरकार में एक भी जाट नेता को शामिल नहीं किया गया, और 2014 के बाद से किसी जाट नेता को मुख्यमंत्री भी नहीं बनाया गया।

कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें
राजनीतिक हलकों में चचार्एं हैं कि यदि विनेश फोगाट सक्रिय राजनीति में प्रवेश करती हैं, तो वह कांग्रेस में शामिल हो सकती हैं। हाल ही में विनेश ने जींद, रोहतक, और शंभू बॉर्डर पर खाप पंचायतों और किसानों से मुलाकात की, जहां उन्हें खाप पंचायत द्वारा स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा, “जब मैं मुश्किल में थी, तब किसानों ने मेरा समर्थन किया।”

कांग्रेस ने भी विनेश को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कदम उठाए हैं। जब विनेश ने अपने रिटायरमेंट की घोषणा की, तब कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा उनके साथ नजर आए। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी मांग रखी कि विनेश को राज्यसभा भेजा जाए, हालांकि उम्र न होने के कारण यह संभव नहीं था। विनेश के चाचा महावीर फोगाट और चचेरी बहन बाबिता फोगाट ने कांग्रेस की इस पहल की आलोचना की।

विनेश फोगाट का संभावित राजनीतिक प्रवेश हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।उनके खाप पंचायतों और किसानों के साथ मजबूत संबंध उन्हें चुनाव में व्यापक समर्थन दिला सकते हैं। हालांकि, अभी तक विनेश ने राजनीति में प्रवेश की औपचारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन राजनीतिक पार्टियां उन्हें अपनी ओर खींचने की कोशिश में लगी हुई हैं। आगामी विधानसभा चुनावों में विनेश फोगाट की भूमिका हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER