राजेश बादल

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के चुनाव संपन्न हुए । मतदाताओं ने एक बार फिर अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा पर भरोसा जताया है । अभूतपूर्व तो यह है कि उनके श्री लखेड़ा के सभी साथी इस बार जीते और एक को भी पराजय का सामना नहीं करना पड़ा । यह प्रेस क्लब के इतिहास में संभवतया पहली बार हुआ है ।

दरअसल इस बार चुनाव से पहले अनेक आशंकाएं जन्म ले चुकी थीं । एक वर्ग कहता था कि मीडिया में जिस तरह सियासी बंटवारा हुआ है ,उसके चलते इस बार क्लब के चुनाव में भी यह बंटवारा काम करेगा । आम तौर पर पत्रकारिता के इस पेशे में हरदम पेशेवर मूल्य ही काम करते हैं ।सियासी षड्यंत्र कामयाब नही होते ।लेकिन इस बार चुनाव में जिस तरह प्रचार अभियान संचालित किया गया ,उसने काफी निराश किया । कुछ प्रत्याशियों ने बेवजह पानी की तरह पैसा बहाया ,पर वह काम नहीं आया ।आना भी नहीं था ।असल में धन से शारीरिक श्रम तो खरीदा जा सकता है,लेकिन मूल्य,सिद्धांत,सरोकार और समर्पण की बोली नहीं लगाई जा सकती । आज पत्रकारिता में निजी विचारधारा को स्थान दिया जाने लगा है । मेरी नज़र में यह कलंक है ।

बहरहाल ! लौटते हैं इस संस्था के निर्वाचन पर ।उमाकांत लखेड़ा की पिछली कार्यकारिणी को पद संभालते ही कोरोना के विकराल रूप का सामना करना पड़ा था।पूरे संसार के लिए यह कभी न भूलने वाला भयावह दौर था। इस दरम्यान इस कार्यकारिणी ने अपने सदस्यों के प्रति जिस तरह जिम्मेदारी और संवेदनशीलता का भाव प्रदर्शित किया,उससे उसका एक विशिष्ट मानवीय चेहरा सामने आया।यह भी देखा गया कि जब निरंतर लॉक डाउन के चलते बड़े बड़े क्लबों की वित्तीय हालत लड़खड़ा गई थी,तब अपने तमाम संसाधनों को समेटकर लखेड़ा और उनके साथियों ने संस्था की सांस ज़िंदा रखी और उसे टूटने नहीं दिया ।यह बड़ी बात थी।किसी भी नेतृत्व की परीक्षा अनुकूल समय में नही,बल्कि प्रतिकूल समय में होती है । कहने में हिचक नहीं कि उमाकांत की टीम इस अग्नि परीक्षा में खरी उतरी । यही इस बार के चुनाव में इकतरफा परिणामों का कारण है । इसके अलावा कोई सियासी कारण मुझे इतना बड़ा नही दिखाई देता ,जो हमारे अनेक साथी खोजने का प्रयास कर रहे हैं।हो सकता है कि वे आंशिक रूप से सच भी हों ।

अभी भी यह क्लब अनेक आंतरिक चुनौतियों का सामना कर रहा है।हम उमाकांत लखेड़ा और उनकी टीम से अपेक्षा करते हैं कि वे अपने साथियों की अपेक्षाओं पर खरे उतरें ।अन्यथा यश के जिस हिमालय पर वे आज बैठे हैं ,अपयश की कचरा टोकरी में पहुंचने में एक मिनट भी नहीं लगेगा।
एक बार फिर उमाकांत और उनकी टीम को तहे दिल से मुबारकबाद ।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER