TIo Bhopal
Sudhir Nigam
विधायकों की कीमत नहीं होती, क्या आप इस बात से सहमत हैं? मैं तो नहीं हूँ और शायद आप भी नहीं होंगे। लेकिन, पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ऐसा ही मानते हैं। और आश्चर्य ये है कि जिन्हें विधायकों की ‘कीमत’ ने अपनी सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया, वही इस बात को नहीं मान रहे।
विधानसभा चुनाव के पहले चल रहे दलबदल के बीच कमलनाथ का यह बयान चर्चा में है कि विधायकों की कीमत नहीं होती, इसलिए मैं अकेले में किसी से नहीं मिलता। हाल में कुछ नेताओं ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन संभाला है, तो भाजपा के असंतुष्ट कांग्रेस का हाथ थाम रहे हैं। इस दौरान कमलनाथ का बयान भाजपा के साथ कांग्रेस के भी कुछ नेताओं को पसंद नहीं आया। पसंद आता भी कैसे, उनकी कीमत जो कम हो जाएगी उनके इस बयान से। नेताओं की छोड़िये, तीन साल पहले हम मध्यप्रदेश वासी भी देख और जान चुके हैं कि विधायक कितने कीमती होते हैं। उनकी कीमत नहीं होती तो आप यूँ विपक्ष में न बैठे होते। भाजपा वाले विधायकों की कीमत अच्छे से जानते हैं। उनके अध्यक्ष भी कह रहे हैं कि लोकतंत्र में विधायक ही सर्वोपरि है। कमलनाथ जी आप खुद विधायकों की कीमत उन कांग्रेस विधायकों से पूछिए जिन्हें 15 महीने ही सत्ता का स्वाद चखने को मिला। उनमें भी अब पूर्व हो चुके मंत्रियों की तो दशा नहीं देखी जाती। उनकी हालत ‘हाथ तो आया, मुँह को न लगा’ वाली रही। हालाँकि सवा साल में ही ‘हाथ’ भी काफी कुछ लग गया था, लेकिन जब पूरा भोजन होने के पहले ही थाली उठा ली जाए तो कैसा लगेगा? पेट भरने से पहले थाली उठने पर उन्हें भी ऐसा ही लगा होगा। किसी के पेट पर लात मारकर आप कैसे ऐसा बयान दे सकते हैं?
आप बयान देते रहिये, विधायक तो अपनी कीमत जानते हैं। कुछ लोगों ने अपनी कीमत जानी थी और आपकी दुकान उजाड़ दी थी। उनमें से कई तो अब अच्छा ‘भोजन’ भी कर रहे हैं। हालाँकि ये नहीं कहा जा सकता कि अगले विधानसभा चुनाव के बाद भी उन्हें ‘भोजन’ मिलता रहेगा या नहीं। उनमें से अधिकतर शायद विधानसभा में भी दिखाई न दें। जब विधायक ही नहीं रहेंगे तो फिर कीमत कैसी? इसलिए ‘हे विधायकों उठो और अपनी शक्ति (कीमत) पहचानो’ और जनता की कुछ सेवा कर लो। यदि जनता की सेवा नहीं की और जनता ने अपनी कीमत पहचान ली, तो तुम्हारी वाकई कोई कीमत नहीं रह जाएगी और कमलनाथ की बात सच साबित हो जाएगी।