TIO, नई दिल्ली

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने अपनी सैन्य रणनीति को और आक्रामक बनाया। भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए। इन हमलों की तुलना इजरायल की सैन्य रणनीति से की जा रही है, जिसमें पहले टारगेट को लॉक किया जाता है, फिर अचूक मिसाइलों से तबाही मचाई जाती है।

पहलगाम हमले और भारत का जवाब
पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत को कड़ा जवाब देने के लिए मजबूर किया। भारत ने 7 मई 2025 को पाकिस्तान के अंदर 9 ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। इन ठिकानों में बहावलपुर, मुरीदके, गुलपुर, कोटली, मुजफ्फराबाद और अन्य शामिल थे। इन हमलों को “आॅपरेशन सिंदूर” नाम दिया गया।

भारत की यह रणनीति इजरायल की “सर्जिकल स्ट्राइक” और “प्रीसिशन स्ट्राइक” शैली से प्रेरित मानी जा रही है। इजरायल अक्सर फिलिस्तीन, लेबनान या सीरिया में आतंकी ठिकानों पर बिना बड़े पैमाने पर युद्ध छेड़े सटीक हमले करता है। भारत ने भी 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक में इसी तरह की रणनीति अपनाई थी।

इजरायली स्टाइल में भारत का वार: समानताएं
इजरायल की सैन्य रणनीति और भारत के कथित हमलों में कई समानताएं देखी जा सकती हैं… प्रीसिशन टारगेटिंग: इजरायल अपने खुफिया तंत्र (मोसाद) और ड्रोन-उपग्रह आधारित निगरानी से दुश्मन के ठिकानों को लॉक करता है। भारत ने भी इस हमले में सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन और रियल-टाइम इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया होगा। भारत का स्वदेशी नेट्रा एडब्ल्यूएसीएस (वायुजनित चेतावनी और नियंत्रण प्रणालीे) और इसरो के आरआईएसएटी-2बीआर1 सैटेलाइट इस तरह के आॅपरेशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सुपरसोनिक मिसाइलें: इजरायल की डेलिलाह क्रूज मिसाइल (250 किमी रेंज), एससीएएलपी, हमर और स्पाइक मिसाइलों की तरह, ब्रह्मोस भी कम समय में भारी तबाही मचाने में सक्षम है। सीमित लेकिन प्रभावी हमला: इजरायल अक्सर बड़े युद्ध से बचते हुए, आतंकी ठिकानों पर सीमित हमले करता है। भारत ने भी पीओके और पाकिस्तान के अंदर 10-100 किमी तक घुसकर हमले किए, जैसा कि पोस्ट्स में दावा किया गया। यह रणनीति बड़े पैमाने पर युद्ध को टालते हुए दुश्मन को कमजोर करती है।

एसईएडी (शत्रु की वायु रक्षा का दमन): भारत ने पाकिस्तान के चीनी निर्मित एचक्यू-9 एयर डिफेंस सिस्टम को निष्क्रिय करने के लिए एसईएडी रणनीति अपनाई। इसमें सुखोई-30 एमकेआई विमानों से केएचँ-31पी एंटी-रेडिएशन मिसाइल और स्वदेशी रुद्रम-1 मिसाइल का इस्तेमाल हुआ। इजरायल भी सीरिया के एस-300 सिस्टम को निष्क्रिय करने के लिए ऐसी रणनीति का इस्तेमाल करता है।

पाकिस्तान का एयर डिफेंस और उसकी विफलता
पाकिस्तान ने अपनी हवाई रक्षा के लिए चीनी एचक्यू-9 सिस्टम पर भरोसा किया, जिसकी रेंज 125-200 किमी है। यह सिस्टम 100 टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है। 6 मिसाइलों को एक साथ नष्ट करने की क्षमता रखता है। लेकिन भारत की ब्रह्मोस और रुद्रम मिसाइलों ने इस सिस्टम को ध्वस्त कर दिया। कुछ प्रमुख कारण…

तकनीकी अंतर: एचक्यू-9 का रडार भारत के एस-400 सिस्टम (400 किमी रेंज) की तुलना में कमजोर है। यह सुपरसोनिक मिसाइलों को ट्रैक करने में सक्षम है, लेकिन रोकने में असफल रहा। 2022 में मियां चन्नू में गलती से गिरी ब्रह्मोस मिसाइल को भी एचक्यू-9 नहीं रोक पाया था। भारत की स्टील्थ तकनीक: ब्रह्मोस और रुद्रम मिसाइलें कम ऊंचाई पर उड़ान भरती हैं, जिससे रडार डिटेक्शन मुश्किल होता है। एससीएलपी भी रडार में पकड़ नहीं पाती। जैमिंग और काउंटरमेजर्स: भारत ने इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम जैसे सम्यक और शक्ति का इस्तेमाल कर पाकिस्तानी रडार को जाम किया।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER